आर्टिकल 35A पीड़ित महिला प्रोफेसर की याचिका जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में दर्ज, बच्चों को नहीं मिली थी पीआरसी
   23-अप्रैल-2019
 
 
आर्टिकल 35A के खिलाफ आंदोलन धीरे-धीरे रंग लाने लगा है। इससे पीड़ित लोगों ने धीरे-धीरे अपने हक के लिए आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू में डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर पद पर तैनात रेणू नंदा ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें रेणू नंदा ने 35A के चलते अपने 2 बच्चों के लिए पीआरसी न दिये जाने को मूलभूत अधिकारों का हनन बताया है। रेणू नंदा ने हाईकोर्ट से 2 बच्चों केशव कुमार और माधव कुमार के परमानेंट रेज़िडेंट सर्टीफिकेट की मांग की है। दरअसल रेणू नंदा खुद एक पीआरसी होल्डर हैं, जिन्होंने नॉन रेजिडेंट सब्जेक्ट से शादी की थी। लेकिन तलाक के बाद नाबालिग होने के चलते दोनों बच्चों की कानूनी कस्टडी रेणू नंदा को मिली है, जोकि रेणू नंदा के साथ रहते हैं। लेकिन आर्टिकल 35A के चलते वो पीआरसी की योग्यता नहीं रखते हैं।
 
 
 
 
 आर्टिकल 35A पीड़ित महिलाएं 

जम्मू कश्मीर में अनुछेद 35A की स्थाई निवासी महिलाएँ भी सबसे बड़ी शिकार हैं। देश में महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं लेकिन विडंबना यह है कि जम्मू कश्मीर में यहाँ की स्थाई निवासी महिला ( PRC रखने वाली महिला ) चाहे किसी भी धर्म से हो, यदि किसी बिना PRC वाले व्यक्ति से विवाह करती है तो अपने राजनीतिक, शैक्षणिक और सम्पत्ति के अधिकारों से वंचित हो जाती है । एक तरह से जम्मू कश्मीर के स्थाई निवासियों की आधी अबादी अपने मानवाधिकारों से भी वंचित है ।
 
 
इनके बच्चे , जम्मू कश्मीर में ही पैदा होने के बावजूद, अपनी माँ की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते हैं और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में,जैसे मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ नहीं सकते हैं l वे राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर नौकरी नहीं कर सकते है और राज्य में विधानसभा और अन्य स्थानीय चुनाव ना तो लड़ सकते हैं और ना ही उनमे वोट कर सकते हैं l
 
 
 
 
रेणू नंदा की याचिका को स्वीकार करने के बाद जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर ने जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस भेजकर 2 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है।
  
 
रेणू नंदा की याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अंकुर शर्मा ने याचिका में कहा है कि आर्टिकल 35A भारतीय संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का हनन करता है। याचिकाकर्ता भी इसी की पीड़िता हैं, लिहाजा एक पीआरसी होल्डर होने के नाते उसके बच्चे भी पीआरसी पाने का अधिकार रखते हैं। लिहाज़ा इसको सुनिश्चित किया जाय़े।
 


 अपने बच्चों के साथ प्रोफेसर रेणू नंदा
 
 
जाहिर है जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में ये एक व्यक्तिगत याचिका के तौर पर दाखिल हुआ है, लेकिन इसका असर व्यापक हो सकता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A को हटाने को लेकर कई याचिकाकर्ताओं की एक साझा केस पहले से ही चल रहा है। जिसपर पहली सुनवाई की डेट अभी तक नहीं मिल पाई है।