जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव टालने का प्रस्ताव, राज्यपाल ने चुनाव आयोग को दिया जून के बजाय नवंबर में चुनाव कराने का सुझाव
   26-अप्रैल-2019
 
 
 
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव 5-6 महीने और टल सकता है, जम्मू कश्मीर सरकार यानि राज्यपाल शासित प्रशासन ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि विधानसभा जून महीने में न करायें जायें। बल्कि इनको नवंबर महीने तक टालने का प्रस्ताव रखा है। खबर के मुताबिक दिल्ली में चुनाव आयोग के साथ हुई एक हाई-लेवल मीटिंग में जम्मू कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमनयम, चीफ इलेक्ट्रॉरल ऑफिसर शैलेंद्र कुमार, डीजीपी दिलबाग सिंह और होम सेक्रेटरी शालीन काबरा शामिल थे। इस मीटिंग को चुनाव आयोग ने राज्य में चुनाव कराने की स्थिति को जानने के लिए बुलाया था।
 
 
मीटिंग में राज्य प्रशासन की तरफ से लोकसभा चुनाव के ठीक बाद विधानसभा जून में न कराने की अपील की। खबरों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के अधिकारियों ने रमजान, अमरनाथ यात्रा, टूरिज्म सीजन के साथ-साथ बक्करवाल कम्यूनिटी माइग्रेशन का भी हवाला दिया। दरअसल बक्करवाल कम्यूनिटी एक घूमंतू जाति है, जोकि गर्मी के दिनों में जम्मू क्षेत्र से कश्मीर और कारगिल के एरिया में बसेरा बना लेते हैं और सर्दी में अक्टूबर के आसपास वापिस जम्मू अपने ठिकानों पर आ जाते हैं।
 
 
 
 
आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के वक्त चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव टालते हुए 3 विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किये थे। जिन्हें जम्मू कश्मीर में चुनाव की संभावना और वक्त का जायजा लेकर सुझाव देना था। इन तीन नामों में पूर्व आईएएस नूर मुहम्मद, विनोद जुत्शी और पूर्व आईपीएस एएस गिल का नाम था। इन तीनों ने जम्मू कश्मीर में दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट में चुनाव कराने के लिए 3 ऑप्शन रखे हैं। पहला 8 जून से 24 जून के बीच चुनाव कराया जाये, दूसरा 15 मई से 15 जून के बीच चुनाव कराया जाये और तीसरे ऑप्शन में 15 सितंबर के बाद चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा गया है।
 
 
 

अक्टूबर-नवंबर के महीने में झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होना तय है।
 
 
 
इन तमाम सुझावों के बाद अब चुनाव आयोग के अंतिम फैसला लेना है। उधर ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक विधानसभा भंग के 6 महीने के अंदर चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी जरूरी है। जिसके मुताबिक जम्मू कश्मीर में 20 मई से पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग क्या फैसला लेता है।