ऑस्ट्रेलिया ने बंद की पाकिस्तान की आर्थिक सहायता, भारत की लॉबिंग के चलते FATF में भी ब्लैकलिस्ट होने के आसार
   03-अप्रैल-2019
 
 
पाकिस्तान अब तक सबसे बड़े आर्थिक घाटे के दौर से गुजर रहा है, डॉलर की कीमत रिकॉर्ड स्तर को पार कर चुकी है। आईएमएफ कर्ज़ देने को तैयार नहीं है, इस बीच पाकिस्तान पर एक और वार हुआ है। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का साथ निभाने वाले ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को सालाना आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया पाकिस्तान में सोशल डेवलपमेंट के नाम पर 500 मिलियन डॉलर की मदद करता था। जिसपर ऑस्ट्रेलिया ने तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया इस रकम को चीन के बढ़ते प्रभाव को बैलेंस करने के लिए ताइवान में लगायेगा।
 
 
 
 
 
 
साफ है कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम देशों को ये मनवाने में कामयाबी पाई है कि पाकिस्तान उनको मिले वाली आर्थिक सहायता का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने और आर्मी पर खर्च करता है। जिसका नतीजा ऑस्ट्रेलिया सरकार के फैसले के रूप में दिख रहा है।
 
 
वहीं दूसरी तरफ भारत की डिप्लोमैटिक लॉबिंग के चलते फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानि FATF भी पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर सकता है। इसका अंदेशा खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने लगाया है। लाहौर में गवर्नर हाउस में मीडिया से बात करते हुए शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत लगातार पाकिस्तान को FATF में ब्लैकलिस्ट करवाने की कोशिश में जुटा है। यदि पाकिस्तान FATF की सिर्फ ग्रे-लिस्ट से भी बाहर नहीं आया तो भी पाकिस्तान को सालाना 10 बिलियन डॉलर का घाटा होगा। जोकि पाकिस्तान सह नहीं पायेगा। अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हुआ तो अंजाम बेहद खतरनाक होगा।
 

 
 पीएम इमरान खान के साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
 
 
दरअसल पिछले महीने ही द फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में रखने का फैसला किया था और पाकिस्तान को अक्टूबर तक आतंकियों और संगठनों पर कार्रवाई करने की मोहलत दी थी। ऐसा न करने पर FATF पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर सकता है। पुलवामा हमले के बाद भारत टेरर फंडिग का हवाला देते हुए पाकिस्तान को अभी ही ब्लैकलिस्ट करने की लगातार मांग कर रहा है। पुलवामा हमले के बाद इसके लिए FATF में भारत ने काफी दबाव बनाया था कि कैसे पाकिस्तान टेरर फंडिंग में शामिल है। लेकिन पाकिस्तान की माली हालत को देखते हुए FATF ने कुछ और महीनों की मोहलत दे दी। दरअसल FATF ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में ठीक एक साल पहले ही डाल दिया था। इस लिस्ट में इथोपिया, घाना, यमन, श्रीलंका, ट्यूनीशिया जैसे देश हैं।
 
 

 
 
 

दरअसल FATF यानि द फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स 37 प्रमुख देशों की सरकारों का एक ग्रुप है। जो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ तमाम सदस्य देशों को रेगुलेट करता है। पाकिस्तान फिलहाल इसी की ग्रे-लिस्ट में है, जिसका मतलब है कि पाकिस्तान के प्रति तमाम देशों को चेतावनी दी गयी है और उसकी एक्टिविटीज़ पर नज़र रखी जा रही है।
  
 
 
 
जून, 2018 में पाकिस्तान ने FATF और एशिया पैसिफिक ग्रुप में हाई-लेवल पॉलिटिकल कमिटमेंट किया था कि वो टेरर-ग्रुप की फंडिंग को रोकने को लेकर स्ट्रैटेज़ी बनायेगा। पाकिस्तान ने कहा था उनके देश की लॉ-इन्फोर्समेंट एजेंसियां इन टेरर ग्रुप और उनकी फंडिंग की जांच कर रही है। लिहाजा उनको थोड़ा वक्त चाहिए। हालांकि पाकिस्तान अब तक इसके बाद कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। देखना ये है कि क्या पाकिस्तान अक्टूबर तक कोई कार्रवाई करता है या उनको नॉर्थ कोरिया और ईरान की तरह ब्लैकलिस्ट कर दिया जायेगा।