जिस आर्टिकल 370 को हटाने के लिए राममनोहर लोहिया ने संसद आवाज़ उठायी थी, आज लोहिया के कथित चेले उसी 370 का गुणगान करते नज़र आते हैं
   09-अप्रैल-2019

 
बात 1964 की हैं जब केंद्र में नेहरू की सरकार थी, जम्मू कश्मीर की समस्या विकराल होती जा रही थी। राष्ट्रवादी, समाजवादी..यहां तक कि कांग्रेसी नेता भी जम्मू कश्मीर की समस्या का स्थायी निदान करने के लिए आर्टिकल 370 को हटाने के लिए आवाज़ उठा रहे थे। इनमें एक प्रमुख और दमदार आवाज़ थी समाजवादी राममनोहर लोहिया की।
 
1964 में ही लोकसभा में बिजनौर से निर्दलीय सांसद श्री प्रकाश वीर शास्त्री अनुच्छेद 370 हटाने के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आये थे । इस बिल के समर्थन में श्री एच एन मुखर्जी, श्री सरजू पांडेय, श्रीमधु लिमए और श्री राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादी सांसद, जम्मू कश्मीर के हिन्दू और मुस्लिम सांसद, जैसे श्री इन्दर मल्होत्रा, श्रीसमनानी, श्री अब्दुल घनी गोनी, श्री गोपाल दत्त मेंगी, और कई सांसद, सभी ने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा की अनुच्छेद 370 को हटा देना चाहिए । सभी ने यह माना कि 370 जम्मू कश्मीर की प्रगति में बाधक है, जिसमें कांग्रेस के सांसद भी थे ।  
 
जम्मू कश्मीर के श्री अब्दुल घनी गोनी ने तो यह भी कहा कि 'जम्मूकश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद ने अनुच्छेद 370 हटाने के लिए प्रस्ताव भी पारित किया, पर केंद्र सरकार इसके लिए राज़ी नहीं थी । या तो सरकार वेस्ट को या पाकिस्तान को खुश रखना चाहती है । केंद्र सरकार और कांग्रेस ने कश्मीर के लोगों के साथ न्याय नहीं किया है । ' साथ ही उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष, दोनों ही सांसदों से 370 को हटाने के लिए इस विधेयक के पक्ष में मत डालने कि प्रार्थना की । जम्मू कश्मीर के सांसद गोपालदत्त मेंगी ने ऐसे प्रावधान कि मांग कि जिस से भारत का संविधान पूरी तरह से जम्मू कश्मीर में लागू हो जाये।mजम्मू कश्मीर के ही एक और सांसद श्री समनानी ने कहा कि 'कश्मीर के लोगों ने कभी यह डिमांड नहीं की थी की उनको अलग रखा जाय । हम 370 को कायम नहीं रखना चाहते हैं।.
 
मैं इस दफा को अपनी ज़िन्दगी में ख़त्म करना चाहता हूँ, अपनी सेफ्टी, अपने बाल बच्चों की सेफ्टी, आने वाली नस्लों की सेफ्टी के लिए । ....' उन्होंने होम मिनिस्टरसे यह भी पूछा की 370 आज तक क्यों रखी गयी है और वे क्यों इसे रखना चाहते हैं।
 
पूरे सदन में अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए सहमति बन गयी थी बावजूद इसके कांग्रेस ने इस विधेयक के विरोध में व्हिप जारी किया । पक्ष , विपक्ष, जम्मू कश्मीर के सांसदों ने भी 370 को हटाने की मांग की, परन्तु उस समय के गृह मंत्री गुलज़ारीलाल नंदा ने कुछ तकनीकी कारण का हवाला देकर, इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि जो भावनाएँ प्रकाश वीर शास्त्री के मन में हैं, वो हमारे मन में भी हैं । हम जल्दी ही कुछ करना चाहते हैं, पर सही तरीका ठीक होना चाहिए, ज़्यादा अच्छा होना चाहिए।


 
 लोहिया के साथी, समाजवादी नेता मधु लिमये ने भी 370 को हटाने के पक्ष में वोट किया था
 
श्री शास्त्री ने कांग्रेस के ही वरिष्ठ सांसदों के वक्तव्यों का हवाला देते हुए कहा कि,
 
‘कश्मीर के प्राइम मिनिस्टर श्री सादिक़ भी धारा 370 को हटाने के पक्ष में है । भारत सरकार के ही कैबिनेट के एक मेंबर श्री छागला ने सुरक्षा परिषद् से लौट आने के बाद पार्लियामेंट मैं अपना पहला वक्तव्य यह दिया था कि 370 को संविधान से हटा देना चाहिए ।   सुप्रीम कोर्ट के वकील और इस सदन के एक सदस्य श्री एन सी चटर्जी ने भी अपने भाषण में कहा कि धारा 370 को हटाना चाहिए । मैं पूछना चाहता हूँ की सरकार के पास और कौन से क़ानूनी विशेषज्ञ इनसे बड़ा मस्तिष्क है जिनकी राय यह सरकार लेना चाहती है । ’इसी बहस में समाजवादी राम मनोहर लोहिया ने आर्टिकल 370 को हटाने का समर्थन किया और 370 को हटाने के लिए प्रकाशवीर शास्त्री के प्राइवेट बिल के पक्ष में वोट किया।
 
अंत में विधयक को लाने वाले सांसद श्री प्रकाश वीर शास्त्री ने कहा कि 'सरकार ने अपनी दुर्बल नीति छुपाने के लिए व्हिप ज़ारी किया है कि मेरे विधेयक के विरोध में मत दें । हो सकता है कि मेरा विधेयक गिर जाये पर हिंदुस्तान का इतिहास उन्हें इस बात के लिए क्षमा नहीं करेगा । पार्टियां छोटी होती हैं, देश सबसे बड़ा होता है । इतिहास में जब लिखा जायेगा की इस प्रकार सर्वसम्मत समर्थन मिलने के बाद भी केवल एकमंत्री के खड़े होकर विरोध करने के कारण लोगों की राय बदल गयी तो लोकसभा के इतिहास में जनतंत्र कि हत्या हो जाएगी । ' और सच बात तो यही है कि अपनी ग़लतियों पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस ने अपने सांसदों से इस विधयक के विरोध में ही मत डलवाया।
 
यह एक ऐतिहासिक घटना थी कि 370 हटाने के लिए पक्ष विपक्ष, सभीसांसद एकमत थे । लोकतंत्र की हत्या का इस से बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि सर्वसम्मति मिलने के बाद भी, और गृह मंत्री द्वारा सही तरीके से 370 को हटाने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद आज तक अनुच्छेद 370 को नहीं हटाया गया है।