मई 1953, जब डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रवादी आंदोलन की मशाल
   13-मई-2019

 
 
स्वतंत्रता प्राप्ति के के बाद, भारत में सबसे पहला बड़ा जनांदोलन था प्रजा परिषद् आंदोलन I इस आंदोलन की शुरुआत जम्मू में शेख अब्दुल्ला द्वारा फैलाई गयी अराजकता के खिलाफ हुई I आंदोलनकारियों की सीधी माँग थी कि भारत का पूरा संविधान पूरे जम्मू कश्मीर में लागू किया जाये I इस आंदोलन को पूरे राज्य की पहचान बनाने में सबसे बड़ी भूमिका श्री प्रेमनाथ डोगरा की थी और इसे पूरे देश में फैलाने का श्रेय श्री श्यामाप्रसाद मुखर्जी को जाता है I श्री मुखर्जी ने इस जन आंदोलन को सारे देश में राष्ट्रवादी पहचान दी I इसी आंदोलन के दौरान वे जम्मू कश्मीर आये और उनकी रहस्यमय परिस्तिथियों में मृत्यु हुई I
 
आज जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर में जो अलगाववाद और आतंकवाद हम झेल रहे हैं उसका अंदाज़ा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में ही लगा लिया था और इसका विरोध किया था I यह विरोध केवल उनका नहीं था यह जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोगों का विरोध था, जिसमें हिन्दू मुसलमान एक साथ खड़े हुए और और उन्होंने प्रजा परिषद् आंदोलन शुरू किया I केवल कश्मीर के छोटे से हिस्से में शेख अब्दुल्ला को खुश करने के लिए नेहरू ने अब्दुल्ला को इस संविधान समर्थक आंदोलन को बुरी तरह दबाने की छूट दे दी I इसमें जम्मू के बहुत से लोग शहीद हुए I महिलाओं ने भी इस आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया, गिरफ्तारियाँ भी दीं I जब आंदोलनकारी नौजवान तिरंगा लेकर आगे बढ़े तो उन्हें गोलियाँ मार दी गयीं , लेकिन नेहरू ने अपनी आंख्ने बंद रखीं I इन सारे अत्याचारों का विरोध करने का बीड़ा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उठाया और वे जम्मू कश्मीर जा पहुँचे I 11 मई 1953 को वे जम्मू कश्मीर आये, जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया , जिसके बाद वे कभी वापस नहीं आ पाए I
 
 
 
 
 
आज जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार सबसे बड़े राजनितिक परिवार के रूप में जाना जाता है I सारा देश इस अब्दुल्ला परिवार से जानना चाहता है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ क्या किया गया था I
घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा-
 
6 मार्च 1953 दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुख़र्जी साथियों सहित गिरफ्तार हुए।
12 मार्च 1953 को डॉ मुख़र्जी उच्चतम न्यायालय के आदेश से रिहा किये गए।
8 मई 1953 को डॉ मुख़र्जी दिल्ली से जम्मू के लिए रेल गाड़ी द्वारा रवाना हुए।
11 मई 1953 को जम्मू में प्रवेश करने पर साथियों सहित गिरफ्तार कर लिया गया।
12 मई 1953 को डॉ मुख़र्जी श्रीनगर कि उप-जेल में बंद कर दिया गया।
22 जून 1953 डॉ मुख़र्जी गंभीर रूप से बीमार और हॉस्पिटल में भर्ती हुए I मुख़र्जी की जम्मू कश्मीर उच्च न्यायलय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई और निर्णय सुरक्षित रख लिया गया।
23 जून 1953 को डॉ मुख़र्जी का प्रातःकाल रहस्यमय परिस्थितियों में देहांत हो गया।
 
 

 
 
 
अंतिम समय में क्या हुआ डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के साथ। ये हमेशा एक रहस्य बना रहा। ऐसी आशंकाओं के साथ कि क्या जम्मू कश्मीर में एक राष्ट्रवादी आंदोलन इसका कारण बना। इतना ज़रूर हुआ कि डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा जलाई गयी आंदोलन की मशाल आज भी जम्मू कश्मीर में राष्ट्रवादियों को रास्ता दिखा रही है।