यूरोपियन पार्लियामेंट कर सकती है पाकिस्तान की तमाम सब्सिडी खत्म, माइनॉरिटी पर हमलों को लेकर पाकिस्तान की घेराबंदी
   02-मई-2019
 
बुधवार को UNSC द्वारा मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के बाद पाकिस्तान के लिए एक और मुसीबत खड़ी हो गयी है। यूरोपियन पार्लियामेंट के 51 सांसदों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर चेतावनी दी है, कि जल्द से जल्द पाकिस्तान में माइनॉरिटी के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को बंद करें। अगर भविष्य में माइनॉरिटी कम्यूनिटी पर किसी हमले की खबर आती है तो यूरोपियन पार्लियामेंट में पाकिस्तान के दी जाने वाली सब्सिडी और व्यापार संबंधी विशेष छूटों को खत्म करने के लिए कार्रवाई शुरू कर देंगे।
 
 
 
 
 
 सिर्फ सुन्नी मुसलमानों को छोड़कर पाकिस्तान में हिंदू-क्रिश्चियन, शिया, अहमदी, हजारा सभी हिंसा के शिकार हैं
 
 
पत्र में साफतौर पर लिखा गया है कि पाकिस्तान के निर्माता मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि- पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल देश होगा। लेकिन इसमें हिंदू, क्रिश्चियन, सिख, बुद्धिस्ट, अहमदी और शिया जैसे तमाम धर्मों के लोगों को बराबरी का अधिकार होगा। लेकिन पिछले 70 सालों में पाकिस्तान की सरकारों ने ऐसा भेदभावपूर्व सिस्टम को खड़ा किया, जिसके चलते न सिर्फ माइनॉरिटीज़ का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक शोषण किया गया, बल्कि उन पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों ने हिंसा बरपायीं।
 
 
 
 
 
 
 
एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान में 1000 से ज्यादा नाबालिक बच्चियों का अपहरण कर, जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है और उसके बाद उनकी मुस्लिम अधेड़ से शादी करा दी जाती है। इनमें 60 फीसदी क्रिश्चियन और 40 फीसदी हिंदू लड़कियां शामिल हैं। इसके अलावा साल में करीब दर्जन झूठे केस ईश निंदा के तहत दर्ज कराये जाते हैं। जिनकी सज़ा मौत है।
 
 
 
 
इस पत्र में पाकिस्तान के ईश निंदा कानून को लेकर भी पाकिस्तान से सवाल पूछा गया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में ईश निंदा कानून यानि ब्लासफेमी लॉ का गलत सहारा लेकर माइनॉरिटी के लोगों को झूठे केसों में फंसाया जा रहा है। जिसका एक उदाहरण आसिया बीबी है।
 
 
इन तमाम मामलों के ध्यान में रखते हुए यूरोपियन पार्लियामेंट के मेंबर्स ने साफतौर पर चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को अपनी संवैधानिक और सरकारी संस्थाओं में आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा और International Covenant on Freedom of Religion की तमाम शर्तों को लागू करना होगा। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है, तो यूरोपियन कमीशन के जरिये उसपर कार्रवाई की जायेगी। पढ़िए पूरा पत्र-