20 मई 1990, टीचर चमन लाल पंडिता को मुस्लिम पड़ोसियों ने वायदा किया- “घाटी छोड़कर मत जाओ, सब मिलकर रक्षा करेंगे”, लेकिन जब आतंकी आये किसी ने साथ नहीं दिया
   20-मई-2019
 
(Representative Image) 
 
मई 1990 तक कश्मीर घाटी में इस्लामिक आतंकवाद अपने चरम पर था, हिंदू घाटी छोड़ रहे थे। बड़गाम जिले के कवूसा खालीसा गांव के चमन लाल पंडित ने भी परिवार समेत घाटी छोड़ने का मन बनाया। लेकिन बरसों तक साथ रहे मुस्लिम पड़ोसियों ने मिलकर चमन लाल से गांव छोड़कर न जाने को कहा। सबने वायदा किया कि वो उसको कुछ नहीं होने देंगे। कुछ ने तो यहां तक कहा कि वो अपने बच्चे कुर्बान कर देंगे, लेकिन चमन लाल के परिवार पर आंच नहीं आने देंगे। चमन लाल ने घाटी छोड़ने का मन बदल दिया।
 
 
लेकिन 20 मई, 1990 रविवार के दिन सुबह करीब साढे 9 बजे आतंकियों ने अध्यापक चमन लाल को किडनैप कर लिया। किसी पड़ोसी ने आतंकियों का विरोध नहीं किया। कोई मदद को नहीं आया, अगले दिन सोमवार को चमन लाल की लाश पेड़ से लटकी मिली। चमन लाल की हड्डियां तोड़ दी गयीं थी। उसे बुरी तरह तड़पाया गया था। चमन लाल के नाखूनों में मिट्टी भरी हुई, जिससे पता चला कि चमन लाल ने खुद को बचाने के लिए कितनी जद्दोजहद की होगी। इसके बाद पुसिल केस हुआ, लेकिन हत्यारे कभी नहीं पकड़े गये। इसके बाद चमनलाल के परिवार ने भी घाटी हमेशा के लिए छोड़ दी।
 
20 मई, 1990 बारामूला
 
इसी दिन बारामूला के आतंकियों ने एक सिख बस ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी। जिसके बाद सिखों ने पूरे राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया।