घाटी की राजनीति में अब उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन के बीच होगा सीधा मुकाबला, पीडीपी और कांग्रेस रेस से बाहर
   25-मई-2019
 
 
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने कश्मीर घाटी की राजनीति में भी नया मोड़ ला दिया है। कश्मीर ने जनता ने एक तरफ पिछली मुख्यमंत्री पीडीपी को हाशिये पर फेंक दिया है। वहीं दूसरी तरफ जनता ने नेशनल कांफ्रेंस को पहली पसंद के तौर पर चुना और तीनों सीट एनसी ने जीती। लेकिन जनता ने इसके साथ-साथ एक और नेता पर अपना भरोसा जताया है, वो हैं जम्मू कश्मीर पीपल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन। कश्मीर की 3 लोकसभा सीटों पर मिले वोटों का आंकड़ा बताता है, घाटी में अब सीधा मुकाबला अब्दुल्ला परिवार और सज्जाद लोन के बीच होगा।
 
 

 
ये ताज़ा आंकड़े इसीलिए भी महत्वपूर्ण और दिलचस्प है, क्योंकि सज्जाद लोन पिछले एक साल पहले तक सिर्फ 2 विधायकों की पार्टी हुआ करती थी। जिसका प्रभाव सिर्फ एक जिले बारामूला तक सीमित था। लेकिन पिछले एक साल में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के कईं बड़े नेताओं सज्जाद लोन का दामन थामा। महबूबा और अब्दुल्ला के समर्थकों में बंटा कश्मीरी मीडिया सज्जाद लोन को छोटा करके दिखाता रहा। लेकिन शहरी निकाय और पंचायत चुनाव में कश्मीर के लोगों पीपल्स कांफ्रेंस में जबरदस्त विश्वास व्यक्त किया। श्रीनगर के मेयर पद पर पीपल्स कांफ्रेंस ने कब्जा जमाकर अपनी ताकत का एहसास सबकों कराया। इसके बाद लोकसभा चुनाव के नतीज़ों ने भी सज्जाद लोन के बढ़ते नेतृत्व पर मुहर लगा दी है। जाहिर है पीपल्स कांफ्रेंस नेतृत्व उत्साहित है।
 
 
 
 
 
 
आगामी विधानसभा चुनावों की घोषणा भले ही न हुई हो, लेकिन इसी साल में चुनाव होना तय है। ऐसे में इस बार कश्मीर घाटी का चुनाव नयी संभावना लेकर जरूर आयेगा। जिसका नतीजा पहली बार नयी सरकार के तौर पर हो सकता है। आगे-आगे देखिए होता है, क्या।