जाकिर मूसा के जनाजे में Islamic State के झंडों और नारेबाजी पर चुप, लेकिन मध्य प्रदेश में एक शख्स के साथ मारपीट के नाम पर फेक न्यूज फैलाने में सबसे आगे निकली महबूबा मुफ्ती
   25-मई-2019
 
 
 
लोकसभा चुनाव नतीज़ों में जनता ने महबूबा को 5 नंबर पर पहुंचा दिया। जिसके बाद महबूबा मुफ्ती चुप हो गयीं थी, एकदम शांत। 23 मई को कश्मीर घाटी में सुरक्षा एजेंसियों ने मोस्ट वांटेड आतंकी, अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समर्थित आतंकी जाकिर मूसा को मार गिराया। लेकिन महबूबा चुप रहीं, कुछ नहीं बोली। इसके अगले दिन पुलवामा के त्राल इलाके के नूरपोरा में जाकिर मूसा को दफनाने के दौरान जमकर इस्लामिक स्टेट और पाकिस्तान के लिए नारे लगे। चारों तरफ इस्लामिक स्टेट के झंडे लहराये गये, यहां तक कि जाकिर मूसा को भी इस्लामिक स्टेट के झंडे से ढंका गया। लेकिन महबूबा फिर भी चुप रही। 2 दिनों से घाटी के कईं इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है। लेकिन महबूबा चुप है, इस्लामिक स्टेट की राजनीति के खिलाफ एक शब्द न बोला, न ट्वीट किया।
 
लेकिन आज जब मध्य प्रदेश में कथित तौर पर गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करते कुछ असामाजिक तत्वों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो अचानक महबूबा की मृत-राजनीतिक इच्छाशक्ति में जान आ गयी। फेक न्यूज को न सिर्फ शेयर किया। बल्कि पीड़ित जोकि खुद हिंदू है, उसे मुस्लिम बताकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश में जुट गयीं। देखिए ट्वीट-
 
 
 
 
 
 
जाहिर है चुनाव नतीजों में करारी हार के बावजूद भी महबूबा का इरादा साफ दिखायी देता है, कि वो देश में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कसर नहीं छोड़ेंगी। ऐसे में मोदी सरकार का सतर्क रहना जरूरी है।