लिबरल मीडिया का भाषाई आतंक जारी, इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को बता रहे हैं एक्टिविस्ट और वर्कर, हिंदू नारों और शब्दावली को बदनाम करने का गोरखधंधा चरम पर
   28-मई-2019
 
 
पिछले 5 सालों में लिबरल मीडिया ने हिंदुत्व को आतंकवाद से जोड़ने की भरपूर कोशिश की, दो तरफा प्रोपगैंडा चलाया गया। एक तरफ हिंदुत्व आतंकवाद का जुमला बार-बार उछाला गया और साथ ही दुनिया भर में खतरा बने मुस्लिम आतंकवाद को इस्लामोफोबिया के नाम पर खारिज किया गया। लेकिन इस चुनाव में लोगों ने इस प्रोपगैंडा की हवा निकाल दी। रिजल्ट के तुरंत बाद चौतरफा हार के बावजूद भी लिबरल मीडिया का ये प्रोपगैंडा रूका नहीं है। बल्कि और तेज़ हो गया है..। आइये हम आपको कुछ उदाहरण के साथ समझाते हैं।
 
 
 
पहला ताज़ा उदाहरण 26 मई को एनडीटीवी पर देखने को मिला, जहां आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की खबर ब्रेक चलायी गयी, तो आतंकियों को ISIS ACTIVISTS और ISIS WORKERS के तौर पर दिखाया गया। यानि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन के आतंकियों को यूं पेश किया गया। मानों इस्लामिक स्टेट कोई एनजीओ हो। देखिए स्क्रीनशॉट-
 
 
 
इसी खबर से जुड़ा दूसरा उदाहरण देखने को मिला नेटवर्क18 के ट्विटर हैंडल पर। यहां भी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को ISIS ACTIVISTS ही लिखा गया। जाहिर है एक खबर को लेकर दो अलग-अलग संस्थान में एक ही लिखने का तरीका इत्तेफाक तो नहीं हो सकता। देखिए स्क्रीनशॉट-
 
 

 
 
 
तीसरा उदाहरण देखिए, कुख्यात मोदी विरोधी कथित पत्रकार प्रतीक सिंहा कैसे इस्लामिक स्टेट आतंकी को SEPARATIST बताकर इस्लामिक स्टेट के आतंकी का सामान्यीकरण करने की कोशिश कर रहा है। देखिए ट्विटर बहस का स्क्रीनशॉट-
 
 

 
अब एक तरफ यहीं पत्रकारों की लॉबी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों का भी सामान्यीकरण करने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ पूरे जोर-शोर से हिंदू प्रतीकों औऱ नारों को अतिवाद और आतंकवाद से जोड़ने की पुरजोर साजिश शुरू हो चुकी है। देखिए इसका एक और उदाहरण-.
 
 

 
 
तो साफ है ये लॉबी लगातार अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी है, यानि आने वाले दिनों में ऐसे उदाहरण आपको बार-बार दिखायी देते रहेंगे। चौंकियेगा मत.....।