अमित शाह बने नये गृह मंत्री, अब अनुच्छेद 370, 35A समेत अलगाववादी, नक्सली और रोहिंग्या घुसपैठियों की खैर नहीं
   31-मई-2019
 
 
मोदी सरकार ने नये मंत्रियों के पदभार की घोषणा कर दी है और इसी के साथ घोषणा हो गयी उस दिशा और कार्यप्रणाली की भी। जिस ओर नयी सरकार की नीतियां तय होनी है। अमित शाह को गृह मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने प्राथमिकता तय कर दीं हैं। जानकार बता रहे हैं कि इन प्राथमिकताओं में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने और जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों, नक्सलियों पर लगाम लगाने के साथ-साथ देशभर से रोहिग्यां घुसपैठियों को वापिस भेजना शामिल है।
 
 
अनुच्छेद 370 और 35A का भविष्य??
 
 
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की घोषणा सबसे पहले इस चुनाव में अमित शाह ने ही की थी, जिसके बाद वो लगभग हरेक चुनावी सभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का वायदा दोहराते रहे। इसके बाद बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में भी 370 और 35 A को हटाने का वायदा दोहराया था। जिसके नतीजे में बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में 6 में से 3 सीटें भारी मतों से जीती हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय संभालने के बाद माना जा रहा है कि अनुच्छेद 370 और 35 को हटाना अमित शाह की पहली प्राथमिकताओं में से एक होगी। हालांकि 35A का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, जिसपर सितंबर के बाद से अभी तक पहली सुनवाई भी नहीं हो पायी है। ऐसे में अनुच्छेद 370 को हटाना पहली चुनौती होगी। हालांकि संसद द्वारा हटाने के विकल्प के लिए सरकार को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकि राज्य सभा में बीजेपी को बहुमत मिलने में एक साल और लगेगा।
 
 
 
 
 

 

 
 गृह मंत्रालय के बाहर लगी अमित शाह की नेमप्लेट, फोटो- नीता शर्मा
 
 
 
घाटी से खत्म होगा अलगाववाद और आतंकवाद
 
 
इसके अलावा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जड़ अलगाववादियों और जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) पर सरकार पहले ही लगाम लगाने की कार्रवाई शुरू कर चुकी है। सरकार ने चुनाव से पहले जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाकर आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पा लिया है। इसका एक नतीज़ा उस वक्त देखने को मिला जब 23 मई को सुरक्षाबलों ने अल-कायदा से संबंधित बड़े आतंकी जाकिर मूसा को मार गिराया। लेकिन इसके बाद कश्मीर घाटी में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। क्योंकि मूलत: पत्थरबाजी को बढ़ावे देने वाले पहले ही जेल में हैं। ऐसे में बचे-खुचे अलगाववादी भी खौफ़ में हैं, क्योंकि उनपर भी नेशनल इवेस्टिगेशन एजेंसी की जांच की तलवार लटकी हुई है। जोकि सीधे अब अमित शाह को रिपोर्ट करेंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ, यानि राज्यपाल के जरिये जम्मू कश्मीर प्रशासन की सीधी कमान भी अब अमित शाह के हाथों में आ गयी है। यानि आने वाले दिनों में अब अलगाववादियों और आतंकियों की खैर नहीं।
 
 

 
 शपथ ग्रहण के बाद हस्ताक्षर करते अमित शाह
 
रोहिंग्या घुसपैठियों की वापसी
 
 
पिछले 3-4 सालों में देश में रोहिग्यां घुसपैठिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 80 हजार के आसपास घुसपैठिए अवैध रूप से बसे हुए हैं। जिनमें से हजारों की संख्या में जम्मू शहर के आसपास बस रहे हैं। जिनको कश्मीरी नेताओं का शह मिल रहा है। जोकि जम्मू क्षेत्र की डेमोग्राफी के लिए खतरा बने हुए हैं। हालांकि मोदी सरकार ने इन रोहिंग्या घुसपैठियों को बाहर निकालने का कार्रवाई पिछले टर्म के दौरान ही शुरू कर दी थी। लेकिन अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इस काम में तेज़ी आने की उम्मीद है। इस चुनाव के दौरान भी रोहिंग्या घुसपैठियों का जिक्र अमित शाह ने जम्मू में अपनी चुनावी रैली के दौरान किया था।
 
 
नक्सलियों पर नकेल
 
 
 
 
 1 मई के गढ़-चिरौली में नक्सली हमले के बाद की तस्वीर, इसमें 16 जवान शहीद हुए थे
 
 
 
पिछले एक साल में कई ऐसी नक्सली हमलों की वारदात हुई, जिसमें भारतीय अर्द्ध सैनिक बलों के काफी जवान शहीद हुए। गृह मंत्रालय के लिए ये भी एक बड़ी चुनौती होगी, कि कैसे इन नक्सलियों का खात्मा किया जाये। तमाम अर्द्धसैनिक बल सीधे गृह मंत्रालय के तहत आते हैं, जिसके बाद संभावना जतायी जा रही है कि अमित शाह के नेतृत्व में कोई बेहतर प्लानिंग की जायेगी। आदिवासी क्षेत्रों में भी विकास बेहतर तरीके से पहुंचाया जाये। जानकार बताते हैं कि इसके लिए वैकल्पिक प्लान पहले से तैयार है। जिसकी लागू करने की जिम्मेदारी अमित शाह के कंधों पर है।