कांग्रेस ने भी किया सर्जिकल स्ट्राइक का दावा! अच्छा है, राष्ट्रीय सुरक्षा चुनावी मुद्दा तो बना, लेकिन इससे महबूबा मुफ़्ती क्यों परेशान है- एक विश्लेषण
   04-मई-2019
 
 
देश का हर लोकसभा चुनाव किसी न किसी बात के लिए याद रखा जाता है I लेकिन 2019 का चुनाव कई मायनों में ख़ास है I इस चुनाव में एक विषय जो देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और जो लगातार चर्चा में बना रहा, वो है राष्ट्रीय सुरक्षा I बीते कल से फिर यह विषय चर्चा में है क्योंकि कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि भारत ने यूपीए काल में भी सर्जिकल स्ट्राइक कीं, और एक दो नहीं बल्कि छह सर्जिकल स्ट्राइक कीं! ये कांग्रेस का जवाब था बीजेपी के लिए जिसके शासनकाल में पाकिस्तान पर दो स्ट्राइक्स की गयीं, उरी स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक।
 
 
अब कांग्रेस के दावों में कितनी सच्चाई है यह जम्मू के पत्रकार की आर टी आई से सामने आयी, जिसमें भारत सरकार के DGMO (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स) ने स्पष्ट कहा कि अधिकारिक रूप से उनके पास उरी स्ट्राइक की जानकारी है I इस से पहले की हुई स्ट्राइक की कोई जानकारी DGMO के पास नहीं है I यह आरटीआई बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले की है. जाहिर है बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र उसमे नहीं होगा लेकिन कांग्रेस जिन छ स्ट्राइक्स का दावा कर रहा है वह २०१४ से पहले की है पर उनका कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है। 
 
 
चुनाव है , आरोप –प्रत्यारोप चलते रहेंगे I कांग्रेस की 6 स्ट्राइक्स का सच क्या है, उस पर कयास लगते रहेंगे I लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है देश के दो शीर्ष दलों में इस बात को लेकर गुत्थम गुत्था है कि सर्जिकल स्ट्राइक किस की देन है? खैर इसका क्रेडिट कोई भी दल ले जाए लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा भी एक बड़ा विषय है इसका क्रेडिट केवल और केवल देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है I
 
 

 
 प्रैस कांफ्रेंस में सर्जिकल स्ट्राइक दावा करते राजीव शुक्ला
 
 
 
2008 मुंबई हमला- राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला
 
 
अभी हाल ही में आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन नामक संस्था ने ''बालाकोट स्ट्राइक'' पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया और उसमे मौजूद एक एयर वाईस चीफ मार्शल ने साफ़-साफ़ कहा कि मुंबई हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में जाकर आतंकी ठिकाने नष्ट करने की बात कही थी , किन्तु हमारे पास आतंकी ठिकानों की पर्याप्त इंटेलिजेंस जानकारी नहीं थी I इसलिए पाकिस्तान पर सीधा हमला न कर उसे डिप्लोमैटिक स्तर पर अलग थलग करने की कोशिश की गयी .नतीजा 2009 से भारत, आतंकी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने के लिए जूझता रहा और चीन हमारी इस कोशिश को नाकाम करता रहा I इस बीच 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद 2009 का आम लोक सभा चुनाव आया लेकिन मुंबई की सड़कों पर आतंक का जो खेल खेला गया वो इस चुनाव का कोई विषय नहीं था या ऐसा कहिये किसी भी दल को भारतीय वोटर इस विषय पर खींचता नज़र नहीं आ रहा था I 2004 में जिस कांग्रेस पार्टी के 144 सांसद थे 2009 में उनकी संख्या बढ़कर 209 हो गयी. भारत की और से मुंबई हमले के बाद कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया . नतीजन पाकिस्तान के हौंसले बढ़ते गए और उसकी आतंकी गतिविधियाँ भी ।
 
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उरी आतंकी हमले के बाद पीओजेके में स्ट्राइक
 
 
लेकिन उरी में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर हमले के बाद स्थिति बदल चुकी है I देश के प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी विराजमान थे, जिनका आतंक के प्रति एक कड़ा रुख़ था I उनका यह रुख़ लोगों ने उनके मुख्यमंत्रिकाल में भी था और उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में भी कड़े रुख का ज़िक्र बार-बार किया I ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला हुआ, परिणामस्वरूप एक ओर विपक्ष और मिडिया का तत्कालीन सरकार पर दबाव था, दूसरी ओर जनता ने खुलकर प्रश्न पूछने शुरू कर दिए I प्रश्न पूछना भी जायज़ था I कुछ दिनों के बाद फ़िल्मी स्टाइल में भारतीय सेना ने प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया और कहा कि उन्होंने पीओजेके ( POJK ) में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की है जिसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा गया I
 
 
यहाँ से शुरू होती है राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय देश के घर -२ का विषय बनने की कहानी I कुछ विपक्षी दलों ने इस स्ट्राइक पर प्रश्न उठाये और कुछ मिडिया के लोगों ने भी, दोनों की ही राजनितिक मजबूरियाँ रही होंगी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने भी अपने लिए एक स्तर निश्चित कर लिया था I अब देश की जनता हर आतंकी हमले के बाद ऐसे ही जवाब की अपेक्षा करने लगी I आतंकी हमलों पर नज़र रखने वाले बड़ी आसानी से समझ सकते है चाहे 1993 के मुंबई ब्लास्ट हों, अक्षरधाम हमला, दिल्ली में बम धमाके, मुंबई में ट्रेन ब्लास्ट और झवेरी बाज़ार ब्लास्ट हो या मुंबई का 2008 का हमला, ,कहीं भी सरकार पर ऐसा दबाव नहीं था कि वो पाकिस्तान से बदला ले I इसमें अपवाद केवल संसद पर किया गया आतंकी हमला था, जिसके बाद बाजपेयी सरकार ने फौज सीमा की तरफ रवाना तो की पर कोई कार्रवाई नहीं हुई I
 
 
 

 
 
पुलवामा हमला
 
 
उरी आतंकी हमले के बाद भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का एक प्रभाव पुलवामा आतंकी हमले के बाद देखने को मिला I पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार या यूँ कहिये नरेंद्र मोदी पर अप्रत्याशित दबाव था कि पाकिस्तान से बदला लिया जाए I यह बहुत हद तक स्वाभाविक माँग भी थी क्योंकि आप पहले सर्जिकल स्ट्राइक कर चुके थे I ख़ैर, पुलवामा हमले के दो हफ्ते के भीतर भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक कर दी I तब से लेकर आज तक बालाकोट स्ट्राइक का भूत पाकिस्तान, विपक्ष और मिडिया के सर चढ़ कर बोल रहा है I इसकी बानगी आप पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस की हाल ही में की गयी प्रेस कांफ्रेंस में देख सकते हैं, कि बकौल कांग्रेस पुरानी सर्जिकल स्ट्राइक भी पब्लिक डोमेन में आ रही है I
 
 
यानी कांग्रेस मान रही है कि देश के आम आदमी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा महतवपूर्ण विषय है और इस हम हल्के में नहीं ले सकते हैं I
 
 
 
अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र की पार्टी का दर्द
 
 
कांग्रेस की छ स्ट्राइक्स को देख कर पाकिस्तान क्या कहेगा वो अभी भविष्य की बात है, लेकिन जम्मू कश्मीर राज्य के सबसे छोटे हिस्से, कश्मीर में भी मात्र अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र की पार्टी पीडीपी की मुखिया को इस बात का दुःख है कि दोनों राष्टीय स्तर के दलों में सर्जिकल स्ट्राइक्स को लेकर होड़ शुरू हो गयी है I अब इस होड़ से पीडीपी का नुकसान क्या है ? राज्य के सबसे छोटे क्षेत्र के अनंतनाग लोकसभा में पीडीपी ने अपने विकासात्मक कार्यो से नहीं बल्कि अलगाववाद और आतंकवाद के सहारे अपनी जो पैठ बनायीं थी , उसे वो टूटती नज़र आ रही है I पीडीपी किसी न किसी तरह से पाकिस्तान को अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में जिन्दा रखना चाहती है, ताकि युवा वर्ग को गुमराह कर अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेकती रहे I इस बात का अंदाजा जम्मू कश्मीर से बाहर रहने वाले लोग इस बात से लगा सकते है कि जब नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को चुनौती देते हुए कहा कि हमने परमाणु हथियार दिवाली के लिए नहीं रखे है , तब इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान से बाद में बयान आया , अनंतनाग से महबूबा मुफ़्ती का बयान पहले आया, जिन्हें पाकिस्तान ने शायद जानकारी दी थी कि पाकिस्तान के परमाणु बम उन्होंने ईद के लिए नहीं रखे है I अब चाइना का साथ छूटने और भारत की एयर स्ट्राइक के डर से पाकिस्तान तो कुछ नहीं बोला लेकिन भारत में अपनी प्रवक्ता महबूबा मुफ़्ती से यह बयान दिलवा दिया I समस्या भारत की पूर्व सरकारों के रवैय्ये की थी कि वो पाकिस्तान को कठोर जवाब नहीं दे रहे थे I इसलिए पाकिस्तान अपनी उछल-कूद में लगा रहता था, और इसी उछल-कूद को कश्मीर मदारी बन कर नॅशनल कान्फ्रेंस या पीडीपी स्थानीय कश्मीरी भाषी मुस्लिमो को बेच रही थी I
 
 

 
 अनंतनाग में बीजेपी रैली की एक तस्वीर, राम माधव संबोधित करते हुए, ऐसी तस्वीरों ने कश्मीरी पार्टियों की नींद उड़ा दी है
 
 
 
लेकिन 2014 से स्थितियां बदली हैं I जमात-इ –इस्लामी के गुंडे जेल में हैं, दिल्ली में बिरयानी खाने वाले अलगाववादी जेल में हैं, एलओसी ट्रेड की आड़ में पैसा बना, आतंक को बढ़ावा देने वाले तथाकथित व्यापारी भी जेल में हैं, इमरान को चीन में बीजिंग की डिप्टी मेयर एअरपोर्ट पर रिसीव करने आती है अर्थात चीन पाकिस्तान को किस स्तर पर रखता है अब कश्मीर में बच्चा -२ जान रहा है , अजहर महसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया जाता है I महबूबा इतने झटकों से सँभलने की कोशिश कर ही रही थी, कि कांग्रेस भी राष्ट्रवाद की सड़क पर दौड़ पड़ती है I इन सब बातों से अलगाववाद की राजनीति करनेवाली महबूबा का फट पड़ना सवभाविक है, लेकिन इन सारी बातों का लब्बो-लुबाब है देश की सुरक्षा करने वाले जवानों के बलिदान को पूरे राष्ट्र में चिंतन का विषय बनाने का श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है, लेकिन साथ ही साथ इस चिंतन की चुनौतियों से लड़ने का रास्ता उनकी स्वघोषित छप्पन इंच की छाती के लिए काँटों से परिपूर्ण रहेगा।