अगर शाह फैसल को भारतीय संविधान का भी नहीं पता, तो उसने आईएएस परीक्षा टॉप की कैसे.? देखिये यूपीएससी टॉपर को संविधान का कितना ज्ञान है...!
   08-मई-2019
 
 
 
नयी दिल्ली में किसी भी ऑटो वाले से आप यदि कहेंगे कि यूपीएससी (UPSC) की बिल्डिंग जाना है तो वो आपको सीधा शाहजहाँ रोड पर ले जाकर छोड़ देगा। यह वह बिल्डिंग है जिसमे बैठे लोग देश की सबसे बड़ी परीक्षा के माध्यम से युवा प्रशासनिक अफसरों का चयन करते हैं देश के लाखों लोग हर साल इस परीक्षा में बैठते है लेकिन कुछ हजार लोग ही इंटरव्यू देने इस बिल्डिंग तक पहुँच पाते है और फिर इसी बिल्डिंग से निकलती है कुछ सौ भाग्यशाली लोगों की लिस्ट जो विदेश, प्रशासन और पुलिस इत्यादि सेवाओ में भर्ती होते हैं। देश के पढ़ने लिखने वाले युवाओं में इस यूपीएससी की बड़ी साख है। लेकिन वर्तमान में यूपीएससी की साख खतरे में है और उसे खतरे में डालने का काम एक वैसे व्यक्ति ने किया है जिसे यूपीएससी ने साल 2009 में आइएएस (IAS) परीक्षा का टॉपर चुना था. जी हाँ हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर के, कुपवाड़ा के रहने वाले शाह फैसल की. शाह फैसल न केवल परीक्षा में टॉपर थे बल्कि अपने गृह राज्य में कार्यरत थे। हालंकि पिछले कुछ समय से ऐसे फीलर आ रहे थे कि शाह फैसल नौकरी छोड़ कर राजनीति में शामिल हो सकते है जो सच साबित भी हुआ. यह उनका निजी निर्णय था और स्वागत योग्य था. लेकिन राजनीति में आने के बाद यूपीएससी की साख को बट्टा लगायेंगे यह किसी को उम्मीद नहीं थी.
 
दरअसल दिल्ली से चलने वाली कम्युनिस्ट समर्थित वेबसाइट “द वायर” को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि अनुच्छेद 370 और 35 A को हटाया गया तो जम्मू कश्मीर का सम्बन्ध भारत से खत्म हो जाएगा. अब यह बात उमर अब्दुलाह या महबूबा मुफ़्ती कहते तो ( जो वो कहते रहते है ) कोई बात नहीं थी क्योंकि उन्होंने जीवन में क्लर्क की भी भर्ती के लिए आवेदन नहीं दिया होगा या तैयारी की होगी। लेकिन यह बात देश में आय ए एस की परीक्षा में टॉपर रहा शाह फैसल बोल रहा था. अब हम नहीं जानते शाह फैसल ने परीक्षा टॉप कैसे कि लेकिन इतना ज़रूर जानते हैं कि संविधान की थोड़ी सी भी जानकारी रखने वाला इंसान ऐसी बेतुकी बात नहीं करेगा. कमाल की बात तो यह है की आप जब आई ए एस परीक्षा की तैयारी करते हैं, उसका इंटरव्यू देते हैं, तो आपसे उम्मीद की जाती है कि आपने संविधान की विभिन्न धाराओं को पढ़ा हो या समझा हो क्योंकि जब तक आप नौकरी करते हैं आप इसी संविधान के तहत कार्य करते हैं।
 
खैर, हम आपको सच बताएँगे कि यदि अनुच्छेद 370 /35 A हट भी जाए तब भी जम्मू कश्मीर कानूनी रूप से भारत का अंग बना रहेगा। वैसे अनंत काल से देखें तो जम्मू कश्मीर भारत का अभिन अंग है लेकिन कालखंड में हमने मुगलों और अंग्रेजो के आतंक से भरा एक कठिन दौर देखा. लेकिन 1947 में अंग्रेज़ों की भारत से रवानगी के बाद भारत एक राष्ट्र बना और हमने मिलकर एक संविधान बनाया। आज पूरा भारत एक संविधान के अंतर्गत चल रहा है. अब देश के आई ए एस परीक्षा के तथाकथित टॉपर के 370 वाले बयान की सच्चाई इसी संविधान के आधार पर जानेंगे।
 
यदि आप संविधान की किताब खोलें तो आप पायेंगे की संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत की भौगोलिक व्याप यानी क्षेत्रों के विषय में साफ़-साफ़ लिखा है कि भारत यानी इंडिया राज्यों का संघ होगा और संघ और उसके राज्य क्षेत्र वो होंगे जो पहली अनुसूची में लिखे गए है
 


 
 
अनुच्छेद एक के अनुसार यदि आप भारत के संविधान की पहली अनुसूची पढेंगे तो आप पायेंगे कि वहाँ भारत के सभी राज्यों के नाम लिखे गए हैं। पहला नाम आंध्र प्रदेश का है। नामों की सूची में आगे बढ़ेंगे तो पश्चिम बंगाल और नागालैंड के बीच पद्रहवें नंबर पर आप देख सकते है जम्मू कश्मीर का नाम लिखा है
 


 
 
मान लें यदि अनुच्छेद 370 /35 A आज हट जाए तो ?
 
आप मान लीजिये आज अनुच्छेद 370 /35 A हट जाए तो भी भारतीय संविधान का अनुच्छेद एक और पहली अनुसूची यथावत बनी रहेंगी यानी जम्मू कश्मीर भारतीय संविधान और देश का हिस्सा बना रहेगा। इसके बाद भी यदि आपको कोई संदेह रह जाए तो एक बार अनुच्छेद 370 और 35 A पढ़ लें, आप समझ जायेंगे कि इन दोनों को संविधान से हटा देने पर भी भारत और जम्मू कश्मीर का सम्बन्ध खत्म नहीं होगा।
 
शाह फैसल एक बार अनुच्छेद 370 का मार्जिनल नोट ( शीर्षक ) तो पढ़ लेते
 
आज के समय में भाजपा, कांग्रेस , पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस जैसे दल अनुच्छेद 370 के बारे में इतना कुछ बोल और लिख चुके है कि आम जनता में बहुत से संशय उत्पन्न हो गए हैं। लेकिन शाह फैसल जो देश के प्रशासनिक अधिकारी तो हैं ही और उन्होंने अपनी नौकरी भी जम्मू कश्मीर में ही की है , वो केवल अनुच्छेद 370 का मार्ज्जिनल नोट ही पढ़ लेते तो शायद यह नासमझों वाली गलती नहीं करते। अनुच्छेद 370 का मार्जिनल नोट यानी कि शीर्षक साफ़ -२ कहता है “जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध में अस्थायी उपबंध “
 
 

 
 
अब एक छोटी सी बात सोचिये कि जब देश के संविधान निर्माता देश का संविधान बना रहे थे तो क्या उन्होंने यह सोचा था कि जम्मू कश्मीर अस्थायी रूप से भारत का हिस्सा रहेगा ? जवाब हैं नहीं. जम्मू कश्मीर का भारत से सम्बन्ध अस्थायी नहीं था …अनुच्छेद 370 अस्थायी जो एक दिन समाप्त हो जाना था।
 
क्योंकि जैसे ही अस्थायी शब्द इस अनुच्छेद के लिए लिखा गया उस से यह स्पष्ट हो गया कि यह अनुच्छेद थोड़े समय के लिए ही भारतीय संविधान का अंग है। “अस्थायी“ शब्द का अर्थ 10 वीं कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा भी अच्छे से समझ सकता है।
 


 
 
अब प्रश्न उठता है कि यह छोटी -२ बाते यदि कोई औसत बुद्धि वाला इंसान भी समझ सकता है तो शाह फैसल जैसा पढ़ा लिखा आदमी ऐसी ग़लती कैसे कर रह रहा है। वो सच में इन मौलिक बातो को नही समझते या वो भी उमर अब्दुलाह और महबूबा की तरह केवल राजनीति कर रहे हैं। यह तो हम नहीं जानते इसका जवाब तो केवल शाह फैसल ही दे सकते हैं और हमारी शाह फैसल से यह अपेक्षा भी है कि वो इसके बारे में आम जनता को भी खुलकर बतायें। लेकिन भारतीय संघ लोक सेवा आयोग को एक बार इस बात पर पुनः विचार करना होगा कि अपनी चयन प्रक्रिया को कैसे पुख्ता / मजबूत करे कि ऐसे लोगो का चयन न हो जिन्होने भारत के संविधान का पहला अनुच्छेद और पहली अनुसूची तक न पढ़ी हो, न ही वो अस्थायी शब्द का अर्थ जानते हो।
 
इसके साथ -२ हम ''जम्मू कश्मीर नाऊ'' के पाठकों से भी उम्मीद करते हैं कि वे इस बात पर अपने विचार प्रकट करें कि आप शाह फैसल जैसे व्यक्तियों के संघ लोक सेवा या यूपीएससी परीक्षा - के चयन में आप किसे दोष देंगे , देश की शिक्षा व्यवस्था को या यूपीएससी को या देश की राजनीति को. कैसे कैसे लोग देश की सबसे बड़ी परीक्षा में टॉपर बन रहे है और फिर राजनीति में भी प्रवेश कर रहे हैं ??