J&K: अक्टूबर 2018 के बाद राजनीतिक हत्याओं की की जांच एडीजी को सौंपी, राज्यपाल की हाई लेवल मीटिंग में नेताओं को दोबारा सिक्योरिटी मुहैया कराने पर फैसला जल्द
   09-मई-2019
 
 
 
अक्टूबर 2018 में किश्तवाड़ में बीजेपी नेता अनिल परिहार से लेकर अनंतनाग में गुल मोहम्मद मीर की आतंकियों द्वारा हत्या एक पहेली बनकर रह गयी है। पुलिस अभी तक हत्यारों को पकड़ पाने में नाकाम रही है। जाहिर है राज्य में लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। राज्य प्रशासन ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एक हाई लेवल जांच के लिए जिम्मेदारी एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) मुनीर अहमद खान को सौंपी है। जिनको इन तमाम राजनीतिक हत्याओं के कारण, उद्देश्य और उपायों की खोजबीन कर सरकार को 15 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। एडीजी मुनीर को अपनी रिपोर्ट में नेताओं की सुरक्षा से संबंधित क्या ज़रूरी कदम उठाने चाहिए। इसके लिए भी सिफारिश करने को कहा गया है।
 
 
 
वहीं दूसरी और राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर भी राजनीतिक हत्याओं के बाद दवाब बढ़ता जा रहा है। बुधवार को राज्यपाल ने चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमनयम् के अलावा आला अफसरों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की। जिसमें हाल ही में राजनेताओं की सुरक्षा हटाने को लेकर समीक्षा की गयी। जिसमें तय किया गया कि जिन नेताओं को आतंकी हमलों का खतरा है, उन नेताओं की लिस्ट तैयार कर उनको दोबारा सिक्योरिटी मुहैया करायी जायेगी। इसके लिए राज्यपाल ने राज्य पुलिस को एक रिव्यू कमेटी गठित कर ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करने को कहा गया है।
 
 
 
 6 मई को श्रीनगर में गुल मोहम्मद मीर की हत्या के बाद राज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन करते बीजेपी कार्यकर्ता
 
 
 
दरअसल हाल ही में अनंतनाग में आतंकियों द्वारा मारे गये बीजेपी के उपाध्यक्ष गुल मोहम्मद मीर की हत्या के बाद सवाल उठना शुरू हो गये थे, कि गुल मोहम्मद मीर की सुरक्षा क्यों हटाय़ी गयी। जबकि उनपर कई बार हमला हो चुका था और उनको लगातार धमकियां दी जा रही थीं। ऐसे में गुल मोहम्मद मीर की सिक्योरिटी हटाना कितना गलत फैसला साबित हुआ। उमर अब्दुल्ला समेत विपक्षी नेताओं ने इस मामले को लेकर राज्यपाल प्रशासन को घेरना शुरू किया था। कि पिछले महीने सैंकडों नेताओं की सिक्योरिटी हटाना एक गैर-ज़रूरी फैसला था। जिसका नतीजा नेताओं पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है।