सदियों से आदि गुरू शंकराचार्य से जुड़ी आस्था का केंद्र रहा है श्रीनगर, इस बार भी शंकराचार्य जयंती पर श्रीनगर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
   09-मई-2019
 
 
 
 
श्रीनगर में स्थित शंकराचार्य मंदिर वो कड़ी है, जो सदियों से भारत के सनातन इतिहास की आस्था का केंद्र रहा है। जिस पहचान को मुस्लिम आक्रांता और आधुनिक मुस्लिम आतंकी चाह कर भी मिटा नहीं पाये। हर साल आदि गुरू शंकराचार्य के जन्मदिवस पर ये आस्था केंद्र भारतीय सनातन चेतना का केंद्र बन जाता है। हर वर्ष पूरे देश से श्रद्धालु शंकराचार्य जयंती मनाने श्रीनगर, जम्मू कश्मीर आते हैं I राष्ट्रीय एकता, शांति और एक शक्तिशाली भारत के लिए प्रार्थना करते हैं I इस बार भी 9 मई को देशभर से आये हज़ारों लोग शंकराचार्य पहाड़ी पर एकत्रित हुए I सुंदरबनी आश्रम से स्वामी विश्वात्मानंदा सरस्वती ने यहाँ आकर विश्व शांति के लिए अभिषेक किया I तमिलनाडु के काँची मठ से कई पुरोहित भी आये जिन्होंने देश की शांति और सुरक्षा के लिए होम हवन और यज्ञ किया I
 
 
 
इस दौरान श्रीनगर के रामकृष्ण मिशन ने रामकृष्ण परमहंस का सन्देश देने वाली किताबों का स्टाल भी यहाँ लगाया गया था I इसके अलावा ये मौका था 1990 में आतंकवाद के चलते विस्थापित हुए अनेक कश्मीरी पंडितों के लिए अपनी आध्यामिक जड़ों से जुड़ने का, लिहाजा सैंकड़ों की संख्या में विस्थापित कश्मीरी हिंदू यहाँ दर्शन के लिए आये और इन सबने अपनी और सभी कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर में सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की I इन सबने पाक अधिक्रान्त जम्मू कश्मीर में स्तिथ शारदा पीठ के खुलने के लिए भी प्रार्थना की I इस कार्यक्रम का आयोजन शंकराचार्य के अनन्य भक्त श्री विधु शर्मा ने किया था I ''वन इण्डिया स्ट्रॉंग इण्डिया'' बंगलोर की संस्था के श्री बेल्लूर लक्ष्मीनारायण और पाणीन्द्र कुमार ने इस कार्यक्रम के बारे में संत समाज और आम जनता में प्रचार किया।
 
 
 
 
शंकराचार्य मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर में डल झील के पास शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है।
• यह मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
• शंकराचार्य मंदिर को तख़्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है।
• यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
• इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादात्य ने 371 ई. पूर्व में करवाया था।
• डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पँहुचने के लिए सीढ़ियाँ बनवाई थी।
• इस मंदिर की वास्तुकला भी काफ़ी ख़ूबसूरत है।
• शिव का यह मंदिर क़रीब दो सौ साल पुराना है।
• जगदगुरु शंकराचार्य अपनी भारत यात्रा के दौरान यहाँ आये थे।
• उनका साधना स्थल आज भी यहाँ बना हुआ है।
• लेकिन ऊँचाई पर होने के कारण यहाँ से श्रीनगर और डल झील का बेहद ख़ूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।
 
 
 
 
 
देखिए कुछ तस्वीरें-
 
 
 
 



 
 
 
आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म 2000 वर्ष पूर्व केरल में हुआ था I अद्वैत दर्शनशास्त्र के जनक शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण किया और शांति और सद्भावना का सन्देश जन जन तक पहुँचाया I हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय कर शंकराचार्य केरल से कश्मीर के श्रीनगर आये और जहाँ उन्होंने ध्यान किया वह पहाड़ी शंकराचार्य के नाम से प्रसिद्द हो गयी I यहाँ भगवन शिव का एक बहुत प्राचीन मंदिर भी है I प्राचीन काल से शंकराचार्य पहाड़ी में कई सिद्ध पुरुषों ने ध्यान साधना की है और इसी कारण इस स्थान का आध्यात्मिक महत्त्व भी है I