NIA की पूछताछ में मसर्रत आलम की कई खुलासे, पाकिस्तान से आये आतंकी फंड के बंटवारे को लेकर है अलगाववादियों में झगड़ा, 2016 में यासीन मलिक ने झगड़ा सुलझाकर बनाया था JRL
   16-जून-2019
 
 
 
दो दिन पहले ही 2017 टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की एनआईए कोर्ट ने मसर्रत आलम, आसिया अंदराबी और शब्बीर शाह को एक महीने की न्यायिक हिरासत में भेजा था। इस बीच एनआईए द्वारा मसर्रत आलम से की गयी पूछताछ में कुछ और नये खुलासे हुए हैं। साथ ही मसर्रत ने कश्मीर घाटी में पाकिस्तान द्वारा फंड भेजे जाने और उसको अलगाववादियों में बांटे जाने की बात कबूली है। घाटी में पत्थरबाज़ी के लिए जिम्मेदार मसर्रत आलम ने पूछताछ में एनआईए को बताया कि पाकिस्तान से हवाला ऑपरेटर्स के जरिये फंड अलगाववादियों तक पहुंचता है। जिसके बंटवारे को लेकर सैयद अली शाह गिलानी, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, यासीन मलिक और आसिया अंदराबी जैसे अलगाववादियों में झगड़ा बना रहता था।
 
 
 
लेकिन 2016 में आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान के कहने पर यासीन मलिक अलगाववादियों एक साथ एकजुट किया और JOINT RESISTANCE LEADERSHIP ग्रुप बनाया। यासीन मलिक ने कश्मीर घाटी में बंद, प्रदर्शन और पत्थरबाजी का एक पूरा कैलेंडर तैयार किया था। जिसके तहत बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में फिर से आग भड़काई गयी। महबूबा सरकार की छूट के चलते वो इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। गौरतलब है कि इस दौरान घाटी के काफी सुरक्षाकर्मियों और सिविलियनंस की जानें गयीं।
 
 
 
 
 
 
आपको बता दें कि एनआईए शब्बीर शाह, यासीन मलिक, मीरवाइज़ उमर फारूख, सैयद अली शाह गिलानी के बेटे के अलावा दर्जनों अलगाववादी नेताओं से पूछताछ कर पहले ही टेरर फंडिंग केस में काफी कुछ उगलवा चुकी है। इन अलगाववादियों के लिए फंड मुहैया कराने वाला कश्मीरी बिजनैसमैन जहूर अहमद शाह वताली को गुरूग्राम से गिरफ्तार कर चुकी है। जिसके खिलाफ ईडी चार्जशीट फाइल कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए इस केस को पुरी तरह सुलझा चुकी है, अब सिर्फ कड़िया जोड़ने का काम बाकी है। जिसकी शक्ल में कश्मीर घाटी से कुछ औऱ गिरफ्तारी हो सकती हैं।