J&K: पूर्व आईपीएस फारूख खान राज्यपाल के एडवाइज़र नियुक्त, 90 के दशक में आतंकवाद की जड़े हिलाने वाले तेज़तर्रार अधिकारी बने अमित शाह के मिशन कश्मीर का हिस्सा
   14-जुलाई-2019
 
 
लक्षद्वीप के प्रशासक पद से इस्तीफा देने के बाद शनिवार को गृह मंत्रालय ने फारूख खान को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का नया एड़वाइज़र बनाये जाने पर मुहर लगा दी। जल्द ही पूर्व आईपीएस अधिकारी नया पदभार ग्रहण कर लेंगे। फारूख खान राज्यपाल के 5वें एड़वाइज़र होंगे। इससे पहले के विजय कुमार (पूर्व आईपीएस), खुर्शीद गनई, केके शर्मा और के सकंदन, 4 एड़वाइज़र थे। इसके बाद पांचों एड़वाइज़र की जिम्मेदारियों में बदलाव कर नयी पोर्टफोलियो तय किये जायेगें। लेकिन माना जा रहा है कि फारूख खान को कानून व्यवस्था और आतंकवाद पर काबू पाने का जिम्मा सौंपा जायेगा। जिसके लिए गृहमंत्री अमित शाह ने उनको जम्मू कश्मीर घर वापसी करायी है। हालांकि 17 अगस्त 2016 को लक्षद्वीप के प्रशासक के तौर पर नियुक्त किये जाने के बाद अभी उनके पास 2 साल का वक्त बाकी था।
 
 
 
फारूख खान मूलत: डोगरी मुस्लिम हैं, जिनके पिता कर्नल पीर मोहम्मद महाराजा हरि सिंह की आर्मी में अधिकारी रह चुके हैं। जोकि बाद में जम्मू कश्मीर जन संघ के पहले प्रेज़ीडेंट भी बने थे। फारूख खान का भी बीजेपी में सफर काफी तेज़ रहा। बीजेपी फारूख खान को बीजेपी माइनोरिटी मोर्चा का अध्यक्ष बनाया था, इसके अलावा उन्हें नागालैंड प्रदेश का बीजेपी प्रभारी भी बनाया गया था।
 
 
 
 
 बीजेपी में शामिल होते वक्त नरेंद्र मोदी के साथ फारूख खान
 
दरअसल फारूख अहमद खान इससे पहले जम्मू कश्मीर में आईजीपी के पद पर रह चुके हैं। 2016 में रिटायर होने के बाद फारूख खान ने हीरानगर, कठुआ में आयोजित नरेंद्र मोदी की रैली में बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। जिसके बाद कुछ ही महीनों के भीतर उनको पार्टी ने जनरल सेक्रेटरी बना दिया था। जिसके बाद उनको लक्षद्वीप का प्रशासक तैनात कर दिया गया। लेकिन फारूख खान की घर वापसी इसीलिए की गयी क्योंकि 90 के दशक में पुलिस अधिकारी के तौर पर उन्होंने आतंकवाद पर नकेल कसने में जबरदस्त कामयाबी हासिल की थी। वो एंटी-टेररिज्म टास्क फोर्स यानि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के पहले हेड नियुक्त किये गये थे। जिसके बाद उन्होंने कई बड़े एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। जिनमें मार्च 1996 में हज़रतबल दरगाह को आतंकियों के कब्ज़े से छुड़वाया था, इसके ऑपरेशन में 18 आतंकी मारे गये थे। 2003 में भी जम्मू के रघुनाथ मंदिर को आतंकियों के कब्जे से छुड़वाने में फारूख खान के नेतृत्व का ही कौशल था। इसके अलावा पाकिस्तान परस्त आतंकियो के सफाये में फारूख खान ने दर्जनों सफल ऑपरेशन किये थे, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति मेडल समेत कई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
 
 
 
2003 में पथरीबल में एक एनकाउंटर के बाद मुफ्ती मोहम्मद की सरकार ने फारूख खान को सस्पेंड कर दिया था। जिसके बाद सीबीआई की जांच में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद फारूख खान को ऊधमपुर में शेर-ए-कश्मीर पुलिस एकेडमी का हेड बना दिया गया था।