जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में आई गिरावट, तीन साल में हजारों से घटकर कुछ दर्जन रह गईं
   15-जुलाई-2019

 

 
अधिकारियों ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएँ पहले से काफी कम हो गई हैं। जहाँ 2016 में पत्थरबाजी की 2,600 से अधिक घटनाएँ सामने आई थीं वहीं 2019 की पहली छमाही में मुश्किल से कुछ दर्जन वारदातें ही देखने को मिलीं। पथराव की घटनाओं में शामिल शरारती तत्वों की गिरफ्तारी भी 10,500 से घटकर लगभग 100 रह गई है। 
 
गृह मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, 2016 में पथराव की 2,653 घटनाएँ हुई थीं, जिनके लिए पुलिस ने 10,571 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। हालाँकि, गिरफ्तार किए गए लोगों में से सिर्फ 276 को जेल भेजा गया और अन्य को चेतावनी के साथ छोड़ दिया गया था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 2016 में हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के एन्काउंटर के बाद कश्मीर घाटी में काफी उथल-पुथल मची रही लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं।
 
आँकड़ों के अनुसार 2017 में पथराव की 1,412 घटनाएँ हुई थीं जिनमें 2,838 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया था और उनमें से 63 को जेल भेज दिया गया था। 2018 में पथराव की 1,458 घटनाएँ हुई थीं जिनमें 3,797 शरारती तत्वों को गिरफ्तार किया गया था और उनमें से 65 को जेल भेज दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि 2019 के पहले छः महीनों में पथराव की लगभग 40 घटनाएँ हुई थीं जिनमें लगभग एक सौ शरारती तत्वों को हिरासत में लिया गया था। 
 
अधिकारियों ने कहा कि 19 जून, 2018 को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से घाटी में सुरक्षा परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन तब लागू हुआ था जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। राज्यपाल शासन के छह महीने बाद, राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जो जारी है।
 
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने 2018 में राज्य में 240 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि पथराव के कारण घायलों की संख्या में भी गिरावट आई है।