“कश्मीर की नयी पीढ़ी दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा महत्तवाकांक्षी हैं, हमें उन तक पहुंचना है, क्योंकि वो हमारे साथ चलने को तैयार हैं”- डॉ जितेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री, पीएमओ
   16-जुलाई-2019
 
 
 
केंद्र सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में नयी पीढ़ी को अपने साथ लेकर चलने का आव्हान किया। दिल्ली में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित एक पुस्तक के विमोचन में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि- ''पिछले कुछ सालों से आईएएस और आईआईटी एग्जाम पास करने वाले ऐसे छात्रों की संख्या बढ़ रही है, जोकि आतंकवाद प्रभावित जिलों से आते हैं। हर साल 30 से 40 कश्मीरी बच्चे एनआईटी और आईआईटी एंट्रेस एग्जाम क्वालिफाई कर रहे हैं। पिछले साल 9 बच्चे थे, जिन्होंने आईआईटी एंट्रेस पास किया था, मेरे लिए उनसे मिलना आनंद की बात थी।"
 
 
दरअसल डॉ जितेंद्र सिंह प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर द्वारा लिखी पुस्तक “Be Clear Kashmir will vote for India” के विमोचन पर बोल रहे थे। जिस पुस्तक में जम्मू कश्मीर की 1947 की सामयिक परिस्थितियों और उसके बाद यूएन में जाने, जम्मू कश्मीर राज्य में राजनीतिक दिशा और दशा पर किये गये अध्ययन को ऐसे तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है। जिसे वाम-विचारक इतिहासकार राजनीतिक सोच और एजेंडे के चलते नज़रअंदाज करते रहे हैं। इस पुस्तक के अध्ययन से पता चलता है कि 1947 से पहले और बाद में कैसे जम्मू कश्मीर की जनता भारत के साथ जी-जान से खड़ी थी। उस वक्त आम कश्मीरी के मन में भारत के साथ भविष्य के अलावा कोई और प्रश्न  था ही नहीं। 
 
 
 
इसी पुस्तक के विषय पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्नेर सिंह साफगोई से कहा कि- "समस्या तब शुरू होती है, जब इतिहास मनमाने तौर पर लिखा जाता है। जब इतिहास को हिस्सों में लिखा जाता है, जब इतिहास को विकृतियों के साथ लिखा जाता है। जैसा कि लेखक अपने नैरेटिव की शुरूआत 1947 से करते हैं, तो मेरे हिसाब से ये सबसे उपयुक्त समय है कि जब दुनिया के आधुनिक इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी देश का बंटवारा था और उसके बाद लिखा गया इहितास आम लोगों के बीच से नहीं उपजा।”
 
 
कश्मीर के युवाओं में विश्वास जताते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि- “90 के दशक के बाद पैदा हुई कश्मीर की नयी पीढ़ी दूसरे राज्यों के तुलना में ज्यादा महत्तवाकांक्षी हैं, अपने कैरियर को लेकर उत्साही है। हमें उन तक पहुंचना है, क्योंकि वो हमारे साथ चलने को तैयार है।”