कश्मीरी हिन्दुओं की वापसी के प्लान से गिलानी महबूबा के पेट में दर्द, नहीं चाहते अलग कॉलोनी
   18-जुलाई-2019

 

 
जम्मू कश्मीर में अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीरी पंडितों के लिए बनायी जा रही पुनर्वास कॉलोनियों का विरोध किया है। गिलानी का कहना है कि “वो पूरे मन से कश्मीरी पंडितों की वापसी का स्वागत करते हैं लेकिन वो कश्मीरी पंडितों को अलग पुनर्वास कॉलोनी में बसाने के किसी भी प्लान का विरोध करेंगे, क्योंकि ये सामाजिक और सांस्कृतिक भाईचारे के खिलाफ है।”
 
अपने बयान में गिलानी ने आगे कहा कि- पंडितों को शो-पीस की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि आजादी के मूवमेंट को बदनाम किया जा सके। कुछ सेल्फ-सेंटर्ड और राजनीतिक अवसरवादी अपने फायदे के लिए इसको इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
साफ है कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की पुनर्वास कॉलोनी के प्लान से अलगाववादी सकते में हैं और इसीलिए कश्मीरी पंडितों के स्वागत की बात तो कर रहे हैं। लेकिन उनके लिए पुनर्वास की प्लान उनको चुभ रहा है। उधर महबूबा मुफ़्ती ने भी गिलानी के बयान का समर्थन किया है।

 
दरअसल केंद्र सरकार ने 6 नवंबर 2015 में पीएम मोदी ने प्राइम मिनिस्टर डेवलपमेंट पैकेज के तहत रीलिफ एंड रीहैबिलीटेशन प्लान की घोषणा की थी। इसके तहत स्टेट गवर्मेंट में 3 हजार अतिरिक्त नौकरियां विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए अप्रूव की गयी हैं। इसके लिए 1080 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया है।
 
इसके अलावा कश्मीर में घर वापसी के लिए पुनर्वास योजना के तहत केंद्र सरकार ने पहले 725 ट्रांसिट अकॉमोडेशन (फ्लैट) बनाने का फैसला किया था। जिसमें विस्थापित के घर के निर्माण के लिए आर्थिक मदद और 2 कमरों वाले 5,242 छोटे फ्लैट बनाये गये हैं। जोकि जम्मू के पूरखु, मूठी, नगरोटा और जगति इलाके में बनाये गये हैं। लेकिन इसके बाद बड़गाम के शेखपोरा में भी 200 फ्लैट बनाये गये हैं।
 

इसी योजना के तहत केंद्र सरकार ने कश्मीर में 6 हज़ार अतिरिक्त नये फ्लैट्स बनाने की योजना तैयार की है।
 
इसके अलावा मई 2015 में कश्मीरी विस्थापितों को मिलने वाली सहायता राशि को 6,600 से बढाकर 10 हज़ार रूपय़े प्रति माह कर दिया था। जिसके बाद जून 2018 में ये सहायता राशि 13 हजार रूपये प्रति परिवार कर दी गयी थी।