जम्मू कश्मीर के स्कूलों में डोगरा समुदाय से भेदभाव, बारहवीं में नहीं पढ़ाई जा रही डोगरी
   19-जुलाई-2019

 

 
जम्मू के स्कूलों में डोगरी भाषा न पढ़ाए जाने से लोगों में रोष उत्पन्न हो गया है। दरअसल जम्मू कश्मीर राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग ने उन स्कूलों में डोगरी का पाठ्यक्रम नहीं रखा है जिन्हें उच्चतर माध्यमिक में अपग्रेड किया गया है। शिक्षकों और विद्यार्थियों का कहना है कि यह कदम राज्य से डोगरी पहचान को समाप्त करने के लिए उठाया जा रहा है। 
 
राज्य सरकार ने हाल ही में 100 स्कूलों को हायर सेकंडरी (बारहवीं) में अपग्रेड किया था। अब कुल मिलाकर जम्मू क्षेत्र में 400 के लगभग हायर सेकंडरी स्कूल हो गए हैं जिनमें से केवल 8-10 स्कूलों में ही डोगरी पढ़ाई जा रही है। बाकी अपग्रेड किए गए स्कूलों में डोगरी के शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई है। 
 
डोगरी भाषा को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है और जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने गत वर्ष एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्देश दिया था कि राज्य सरकार के उस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए जिसमें डोगरी समेत क्षेत्रीय भाषाओं को राज्य के स्कूलों में बिना किसी भेदभाव के पढ़ाने की बात कही गई थी। 
 
जम्मू कश्मीर के शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 से 8 तक कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी और बोधी भाषा पढ़ाने का आश्वासन दिया था जिन क्षेत्रों में यह भाषाएँ बोली जाती हैं। डोगरी भाषा के विद्वानों और कवियों के अनुसार जम्मू कश्मीर के जनप्रतिनिधियों द्वारा डोगरी पहचान के प्रति सदा से ही सौतेला रवैया रहा है। वे जम्मू कश्मीर से डोगरी पहचान मिटाना चाहते हैं। दो-तीन साल पहले बड़े स्तर पर विरोध के बाद डिग्री कॉलेजों में डोगरी भाषा पढ़ाने वालों के 44 पद सृजित किए गए थे लेकिन बारहवीं के स्कूलों में डोगरी के शिक्षक न होने से कोई डिग्री कोर्स में डोगरी क्यों पढ़ना चाहेगा सवाल यह भी है।