VDCs के खिलाफ सांप्रदायिक माहौल भड़काने पर पीडीपी नेताओं पर एफआईआर दर्ज, कार्रवाई पर तिलमिलाये पीडीपी नेता
   21-जुलाई-2019
 
 
किश्तवाड़ में पीडीपी के एमएलसी फिरदौस टाक समेत कई नेताओं के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इनपर आरोप है कि फिरदौस टाक और स्थानीय नेताओं ने चेनाब वैली में गठित की विलेज डिफेंस कमेटी को सांप्रदायिक रंग देकर लोगों को भड़काने का काम किया है। इसके साथ ही इन नेताओं ने गवर्नर एडमिनिस्ट्रेशन, बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ किश्तवाड़ की मस्जिद के पास प्रदर्शन किया और लोगों सांप्रदायिक भाषण देकर लोगों को भड़काया।
 
 
दरअसल पिछले अक्टूबर के बाद किश्तवाड़ में कई आतंकी घटनाएं हुई थीं। जिसमें आरएसएस के कम से कम 3 स्वयंसेवक इन हमलों में शहीद कर दिये गये थे। इसके बाद किश्तवाड़ में सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की लगातार कोशिश की जाती रही है।
 
 

 
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क्या है विलेज डिफेंस कमेटी?
 
 
90 के दशक के अंत में घाटी से बाहर जब आतंकवाद जम्मू में फैलता जा रहा था, हिंदू गांवो और बस्तियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा था। तो राज्य प्रशासन ने दूर-दराज के गांवों के लोगों की हरेक गांव में एक डिफेंस कमेटी बनायी। जिन्हें हथियार दिये गये और ट्रेनिंग भी दी गयी। आयडिया ये था कि ये कमेटी बढ़ते आतंकी हमलों से अपने गांव की रक्षा करेगी। उस दौरान जम्मू के अलग-अलग गावों में करीब 27 हज़ार लोगों को विलेज डिफेंस कमेटी के तहत ट्रेनिंग दी गयी। जिन्होंने जम्मू में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई।
 
 
लेकिन हाल ही में जनवरी के पहले हफ्ते में पुलिस प्रशासन ने उन VDCs से हथियार वापिस लेने की मुहीम शुरू की थी। जिनकी उम्र 60 के पार हो चुकी है, ऐसे में चूंकि वो आतंकियों का ठीक से मुक़ाबला नहीं कर पाएंगे। पुलिस हेडक्वार्टर के आदेश पर पुलिस रामबन, डोडा, किश्तवाड़ जैसे ज़िलों में काम कर रही ग्राम सुरक्षा समितियों से उनके हथियार वापिस ले रही है। इसके बाद जम्मू की कईं राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टियों ने इस फैसले के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी थी। तर्क ये था कश्मीर घाटी से बाहर राज्य के अल्पसंख्यक यानी हिन्दु मुस्लिम आतंकवाद से इन्हीं VDCs के चलते सुरक्षित हैं। वरना नब्बे के दशक में जिस तरीके से कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को मारकर भगाया गया, वो वारदात जम्मू के इन इलाक़ों में भी दोहराई जा सकती थी। लेकिन इन क्षेत्रों में तैनात हथियारधारी ग्राम सुरक्षा समितियों के चलते आतंकवाद घाटी के बाहर पाँव नहीं पसार पाया।
 
 
लेकिन पिछले अक्टूबर के बाद जिस तरह से किश्तवाड़ में पहले परिहार बंधु और फिर चंद्रकांत शर्मा जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ, उसे देखते हुए किश्तवाड़ में इन VDCs को दोबारा संगठित करने का निर्णय लिया गया।
 
 
 
 
 
लेकिन महबूबा की पार्टी पीडीपी के नेताओं ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। पीडीपी नेता फिरदौस टाक ने किश्तवाड़ में प्रदर्शन किये। भड़काऊ भाषण दिये और प्रेस कांफ्रेंस कर मामले को हिंदू Vs मुस्लिम बनाने की कोशिश की। लिहाजा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन आरोपियों के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।
लेकिन इस कार्रवाई के बाद खुद महबूबा मुफ्ती से लेकर पार्टी के तमाम नेता तिलमिला उठे हैं और राज्य प्रशासन के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।