कारगिल विजय दिवस पर एक ट्वीट तक नहीं कर पाये राहुल गांधी, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार
   26-जुलाई-2019
 
 
कारगिल विजय की 20वीं वर्षगांठ पर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि देने लिए संसद से लेकर लाइन ऑफ कंट्रोल तक, देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। हर कोई अपने-अपने तरीके से शहीदों को नमन कर रहा है। लेकिन विडंबना है कि कि देश और जम्मू कश्मीर पर सालों तक राज़ करने वाले परिवारों के वंशज नेता राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती कारगिल विजय दिवस पर एक शब्द न कह पाये। न कोई वीडियो संदेश आया, न ही कोई ट्वीट कर पाये।
 
 
ऐसा नहीं है कि ये तीनों सोशल मीडिया से दूर हैं, इनको ट्विटर अकाउंट से पता चलता हैं कि तीनों ट्विटर पर खूब सक्रिय हैं। बाकी मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। तो क्या अपनी विशेष राजनीति के चलते जानबूझकर कोई श्रद्धांजलि संदेश नहीं दिया।
 
 
 
लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, लेकिन अपने ओरिजनल फुरसतिया स्टाइल में। राहुल गांधी आखिरी ट्वीट 23 जुलाई को कर्नाटक सरकार गिरने के बीजेपी को घेरने के लिए किया। उसके बाद कारगिल विजय दिवस पर राहुल गांधी की नींद नहीं खुली।
 
 


 
कारगिल युद्ध के समय फारूख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे, बल्कि एनडीए सरकार में भी शामिल थे। लेकिन अपने पर राज्य में हुए इतने बड़े इवेंट की याद में न तो पिता ने और न ही बेटे ने कोई संदेश दिया। ट्विटर पर प्रति घंटा एक ट्वीट करने वाले, हाल ही में मास्टर शेफ ऑस्ट्रेलिया से तीन जजों के शो छोड़ने के बाद दुखी होने वाले उमर अब्दुल्ला भी कारगिल विजय दिवस पर चुप ही रहे। हालांकि मोदी सरकार के खिलाफ प्रोपगैंडा चलाने वाले ट्वीट वो लगातार पोस्ट कर रहे हैं।
 
 
 
 
 
महबूबा मुफ्ती भी ट्विटर पर चौबीसों घंटें सक्रिय रहती हैं, लेकिन उन्होंने ने भी अपनी राजनीतिक पैटर्न के चलते कारगिल विजय दिवस पर कोई ट्वीट नहीं किया।