अनुच्छेद 35A पर केंद्र के रुख से घबराई मेहबूबा मुफ़्ती !
   29-जुलाई-2019
 
 
 
अनुच्छेद 35Aको लेकर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती की धमकियां अब डर में बदलती नज़र आ रही है। कल तक अनुच्छेद 35A को लेकर मेहबूबा कभी भारतीय तिरंगे के खिलाफ बोल रही थी तो कभी हिंदुस्तान की हस्ती मिटाने की बात कर रही थी। लेकिन आज वही मेहबूबा राज्य के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर में अपने राजनितिक प्रतिदंद्वी फारूख अब्दुलाह से एक होकर लड़ने की अपील करती नज़र आ रही है।
 
मेहबूबा ने एक ट्वीट कर कहा है कि " राज्य में बदलते घटनाक्रम के चलते लोगो में भय व्याप्त है और मैंने फारूख अब्दुलाह साहेब से निवेदन किया है कि वो सभी दलों की एक मीटिंग बुलाये और मिलकर जवाब दे "
 
 
क्या है अनुच्छेद 35A ?
 
अनुच्छेद 35A भारतीय संविधान का एक अनुच्छेद है जिसे बिना संसद की स्वीकृति के भारतीय संविधान में जोड़ दिया गया। इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर में रहने वाले वेस्ट पाकिस्तान से आये शरणार्थी , दलित , महिलाये एवं गोरखा पिछले 70 वर्षो से भेदभाव का शिकार हो रहे है।
 
 
 
भारत को आज़ादी पाए 70 वर्षो से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अनुच्छेद 35A के चलते आज भी जम्मू कश्मीर वेस्ट पाकिस्तानी शरणार्थी बहुत बुरे हालात में गुजर बसर कर रहे है। विडम्बना यह है कि पाकिस्तान में भी "वेस्ट पाकिस्तान " शब्द का प्रयोग नहीं होता लेकिन जम्मू कश्मीर में आज भी शरणार्थी है जिन्हे वेस्ट पाकिस्तानी के नाम से पुकारा जाता है। लगभग डेढ़ लाख को जनसंख्या वाले इस वर्ग में 80 प्रतिशत ओबीसी वर्ग से आते है।
 
 

 

अनुच्छेद 35 A का दुष्प्रभाव -दलित के लिए केवल सफाईकर्मचारी की नौकरी
 
अनुच्छेद 35 A का दुष्प्रभाव जम्मू कश्मीर में रह रहे दलित सफाईकर्मचारियों पर भी हो रहा है। इस अनुच्छेद के चलते जम्मू में रह रहे दलित परिवार केवल और केवल सफाईकर्मचारी की नौकरी ही कर सकते है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में इसी समुदाय से आने वाली दलित लड़की राधिका गिलो ने अन्य दो दलितों के साथ मिलकर इस अनुच्छेद को चुनौती दी है। राधिका गिल राज्य स्तर की खिलाडी है और उसे काफी मैडल भी जीते है लेकिन अनुच्छेद 35 A के कारण उसे राज्य में कोई नौकरी नहीं मिल सकती।

 
जम्मू कश्मीर की महिलाये भी है शिकार अनुच्छेद 35 A की
 
केवल वेस्ट पाकिस्तानी शरणार्थी और दलित ही नहीं राज्य की महिलाये भी शिकार है अनुच्छेद 35 ऐ की। राज्य की कोई महिला यदि राज्य से बाहर शादी कर ले तो उसके बच्चे और पति को राज्य में बहुत से अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। ऐसी महिला के बच्चे राज्य में प्रोफेशनल कोर्सेस नहीं कर सकते, नौकरी नहीं कर सकते। इतना ही नहीं यदि माँ चाहे भी तो अपने बच्चो को अपनी संपत्ति हस्तांतरित नहीं कर सकती।
 
अभी हालही में जम्मू विश्विद्यालय की प्रोफेसर रेनू नंदा ने अनुच्छेद 35A को जम्मू उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। महिलाओ के अधिकारों को लेकर ऐसी ही एक याचिका चारु वली खन्ना नामक महिला ने उच्चतम न्यायालय में भी दायर की है.