जम्मू कश्मीर में दलितों का विरोधी आर्टिकल 35 ए
   30-जुलाई-2019

 
 
जम्मू कश्मीर की राजनीति इस समय पूरे उबाल पर है। जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे क्षेत्र कश्मीर के नेता उमर अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती लगातार आर्टिकल 35 ए के खत्म होने का विरोध कर रहे है। हालाकिं सरकार ने आर्टिकल 35 ए को खत्म करने का कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया है। लेकिन अटकलें लगाई जा रही है कि आर्टिकल 35 ए को लेकर सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
 
सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35 ए को चुनौती किसने दी ?
 

 
 
जम्मू की रहने वाली 21 वर्षीय राधिका गिल ने सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35 ए को चुनौती देते हुए याचिका दायर किया है। राधिका के अलावा जम्मू कश्मीर की महिला चारु वली खन्ना और वेस्ट पाक रिफ्यूजी संस्था सहित अन्य लोगों ने भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35 ए के विरोध में याचिकाएं दायर की है।
 
राधिका को क्यों खटखटाना पड़ा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
 
जम्मू निवासी राधिका गिल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया कि वो राज्य स्तरीय एथलीट है। उसके पिता चरण सिंह जम्मू में सफाई कर्मचारी है। राधिका ने कहा कि वो अपने खेल और पढ़ाई के दम पर एक अच्छी सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकती है। लेकिन आर्टिकल 35 के कारण वह जम्मू कश्मीर में कोई भी सरकारी नौकरी नहीं कर सकती है। राधिका गिल दलित समुदाय से संबंध रखती है और अनुच्छेद 35 ए के अनुसार वो राज्य में सिर्फ सफाई कर्मचारी का काम कर सकती है।
 
इतिहास:
 

 
 
सन् 1957 में जम्मू कश्मीर के सभी सफाई कर्मचारी वेतन बढ़ाने को लेकर धरने पर बैठ गये थे। जिसके बाद जम्मू कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद ( आजादी के कुछ साल के बाद तक जम्मू कश्मीर सत्ता के प्रमुख को प्रधानमंत्री ही कहा जाता था ) ने पंजाब राज्य से करीब 200 वाल्मीकि समुदाय के परिवारों को जम्मू कश्मीर बुलाया। कैबिनेट के एक फैसले के अनुसार इन्हें विशेष तौर से सफाई कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करने के लिए बुलाया गया था।
 
बीते 63 साल जम्मू कश्मीर में रहकर सफाई कर्मचारी का काम करने के बावजदू इन्हें यहां का निवासी नहीं माना जाता है। इन लोगों के पीढ़ी में किसी भी बच्चें को सरकार में अच्छी नौकरी और सरकारी संस्था में पढ़ाई करने का हक नहीं है। अगर कोई छात्र बाहर से पढ़ाई करके आता तो उसे भी सिर्फ सफाई कर्मचारी की ही नौकरी मिल सकती है।
 
 
आर्टिकल 35 ए सविंधान में कब जोड़ा गया, क्या है 35 ए संविधान का हिस्सा है ?
 

 
 
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया। कानून के विशेषज्ञों का मानना है कि ये अनुच्छेद अंसैवधानिक है, क्योंकि इसे संविधान में बिना संसद के मंजूरी के जोड़ा गया है।
 
“भारतीय संविधान में आज तक जितने भी संशोधन हुए हैं, सबका जिक्र संविधान की किताब में होता है। लेकिन 35ए संविधान में कहीं भी नहीं है”
 
मेहबूबा मुफ्ती अपने राज्य की लड़की के विरोध में क्यों खड़ी है ?
 

 
सरकार के तरफ से आर्टिकल 35 ए खत्म होने के अटकलों के बीच मेहबूबा मुफ्ती अपने भाषण में सरकार पर हमला करते हुए आर्टिकल 35 ए को बारूद कह रही, वो कह रही इस बारूद को जो भी छुए का वो जल जाएगा। उनकी इस बात से यह तो साफ हो गया कि वो जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 35 ए को खत्म नहीं होने देना चाहती।
 
मेहबूबा मुफ्ती खुद एक महिला नेता है , उसके बावजूद वो राज्य स्तरीय एथलीट चैंपियन खिलाड़ी राधिका और उन तमाम लोग जो आजादी के 72 साल के बाद भी हाशिए के समाज पर है, उनके साथ खड़े होने से कतरा रही है। आर्टिकल 35 ए को आये 65 साल बीते चुके है, इन 65 सालों में आर्टिकल 35 ए के कारण जम्मू कश्मीर के राधिका जैसे कितने प्रतिभावान छात्रों का जीवन खराब हो गया है। लेकिन राधिका ने हार नहीं मानी उसने सुप्रीम कोर्ट में इसके विरुद्द याचिका दायर करके संघर्ष कर रही है।