गिलानी और शब्बीर शाह जैसे अलगाववादी है कश्मीर में शिक्षा के विरोधी , लेकिन शाह फैसल की क्या मजबूरी है ?
   05-जुलाई-2019

 
जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर की कश्मीर घाटी में फैला आतंकवाद और अलगाववाद पूरे देश के समक्ष बेनकाब होता जा रहा है।
 
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में दिए अपने भाषणों में साफ़ - साफ़ कहा कि कश्मीर में अब अलगाववाद का पाखण्ड नहीं चलेगा। अपने अलगाववाद के चलते अलगाववादियों ने कश्मीर के बच्चो के भविष्य को ताक पर रख दिया है लेकिन खुद अलगाववादियों के बच्चे दुनिया के बड़े से बड़े कॉलेजेस में पढ़ रहे है
 
 
2016 का पथराव और गिलानी का शिक्षा विरोध
 
 
2016 में बुरहान वाणी नाम के एक आतंकी के मारे जाने के बाद दक्षिणी कश्मीर में लगातार पथराव और बंद चल रहा था। इसका सबसे बुरा असर बच्चो की शिक्षा पर पड़ रहा था। कश्मीर में कई स्कूल जलाये गए। ऐसे में जब कश्मीर से पथराव और बंद के विरोध में स्वर उठने लगे तब कश्मीर के अलगाववादी गिलानी ने कहा था " जब तक हमें आज़ादी नहीं मिलती तब तक स्कूल्स बंद रह सकते है " . लेकिन दूसरी और गिलानी की पोती दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ रही थी और अपने एग्जाम्स दे रही थी।
 

 
 
शाह फैसला -सिविल सेवा परीक्षा का टॉपर या कश्मीर का दुर्भाग्य
 
 
जिस समय कश्मीर घाटी में अलगाववाद बेनकाब हो रहा है ऐसे समय में शाह फैसल ने अलगाववादियों के बचाव में बोला कि बच्चो को विदेश में भेजने का अधिकार सबको है। लेकिन शाह फैसल ने यह नहीं बताया कि विदेश में बच्चे के पढ़ने के अधिकार मांगने वाले ये अलगाववादी कश्मीर में बच्चो की शिक्षा के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे है। सिविल परीक्षा में टॉपर रहे शाह फैसल के बारे में बताते चले कि जब वो 2016 में जम्मू कश्मीर में स्कूली शिक्षा के विभाग में डायरेक्टर थे तब में जम्मू कश्मीर में 30-35 स्कूल्स को जलाया गया या नुक्सान पहुंचाया गया था. बच्चे यदि स्कूलों तक पहुँच भी जाते थे तो उन्हें जबरन वापिस भेजा जाता था। अंत में परेशान होकर कश्मीर से बहुत सारे बच्चो ने जम्मू में एडमिशन ले लिया।


 
 
लेकिन अब सरकार ने इन अलगाववादियो के दोगलेपन को पूरी तरह से बेनकाब करने का निर्णय किया है। घाटी में स्कूल्स बंद करवाने वाले इन अलगाववादियों के बच्चो की एक लिस्ट मिडिया में आयी है जो बता रही है कि अलगाववाद के सरपरस्तों के बच्चे विदेशो में कहाँ-२ पढ़ रहे है।
 
 
1 निसार हुसैन (वहीदत ए इस्लामी) – बेटा और बेटी ईरान में रह रहे हैं. बेटी ईरान में ही नौकरी करती है.
 
 
2. बिलाल लोन – सबसे छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रही है.
 
 
3. अशरफ सहरई (चेयरमैन, तहरीक-ए-हुर्रियत) – दो बेटे खालिद-आबिद सऊदी अरब में काम करते हैं.
 
 
4. जीएम. भट्ट (आमिर ए जमात) – बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर
 
 
5. आसिया अंद्राबी (दुख्तरान-ए-मिल्लत) – दोनों बेटे विदेश में हैं. एक मलेशिया में पढ़ाई कर रहा है और दूसरा बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहा है.


 
 
6. मोहम्मद शफी रेशी (DPM) – बेटा अमेरिका में पीएचडी कर रहा है.
 
 
7. अशरफ लाया (तहरीक ए हुर्रियत) - बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.
 
 
8. जहूर गिलानी (तहरीक ए हुर्रियत) (सैयद अली शाह का दामाद) – बेटा सऊदी अरब में एयरलाइंस में काम करता है
 
 
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9. मीरवाइज उमर फारूक (हुर्रियत के चेयरमैन) – बहन अमेरिका में रहती है.
 
 
10. मोहम्मद युसूफ मीर (मुस्लिम लीग) – बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है