Dear Media, जम्मू कश्मीर का असली हीरो उमर फैयाज़ है, बुरहान वानी नहीं
   08-जुलाई-2019

 
आज से ठीक 3 साल पहले अनंतनाग ज़िले में एक एनकाउंटर में हिज़्बुल मुजाहिदीन का आतंकी बुरहान वानी मारा गया था। आज आप मीडिया में किसी से भी पूछेंगे कि बुरहान वानी कौन है तो सब पत्रकार यह बताएँगे कि बुरहान राज्य के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर के भी दक्षिणी हिस्से में व्याप्त आतंकवाद का ‘पोस्टर बॉय “ था। त्राल का रहने वाला था और जिसकी वजह से कश्मीरी लड़के आतंकवाद की और बढ़ रहे है, लेकिन उसी पत्रकार से आप यदि पूछे कि “ उमर फैयाज़’’ कौन है, तो शायद वो नाम के अलावा कुछ सही बता पाये। एक आतंकवादी को पोस्टर-बॉय बता कर बेचने वाला मीडिया कितना नकारात्मक है. कि उस कश्मीरी लड़के उमर के बारे में लोगों को कुछ नहीं बता रहा है, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर था और आज से दो साल पहले ठीक 10 मई के दिन आतंकवादियों ने एक शादी समारोह से अगवा कर मार डाला था। उमर फैयाज़ अपनी पहली पोस्टिंग अखनूर में ज्वाइन करने के बाद पहली बार अपनी चचेरी बहन की शादी के लिए अपने घर लौटा था, जिस समय उसे अगवा किया गया उस समय घर में संगीत कार्यक्रम चल रहा था। रात का समय था अगले दिन पड़ोस के गाँव हरमन में उमर फैयाज़ की लाश मिली। जिसको 2 गोलियां मारी गई थीं।
 
 
उमर फैयाज़ और बुरहान वानी – कश्मीर का पोस्टर-बॉय कौन ?
 
 
सैद्धांतिक रूप से लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ और आतंकी बुरहान की तुलना करना पूरी तरह से गलत या यूं कहिये इस प्रकार की कोई तुलना ही नहीं की जा सकती। लेकिन हमारे देश कुछ चुनिंदा मीडिया आउटलेट्स की अलगाववादी पत्रकारिता का पर्दाफाश करना हो तो यह जरुरी है। 2016 पुलवामा का रहने वाला एक आतंकवादी बुरहान एक एनकाउंटर में मारा गया। पुलवामा जम्मू कश्मीर के उन पांच जिलों ( अनंतनाग , पुलवामा , शोपियन , कुलगाम और श्रीनगर ) में से एक है जहां आतंकवाद और अलगाववाद फैला हुआ है। इस आतंकी के मरने के बाद एक के बाद एक बड़े-बड़े मीडिया चैनल बुरहान वानी के घर पहुंचे और उसको ऐसे प्रदर्शित किया जाने लगा जैसे कश्मीर में पढ़े लिखे जवान आतंकवाद को पसंद कर रहे है और उससे से जुड़ना चाहते है
 
हिंदुस्तान टाइम्स के यू टयूब पर नौ जुलाई , 2016 को एक इंटरव्यू अपलोड किया गया।
 
सी एन एन – न्यूज़ 18 नवम्बर, 2016 को एक इंटरव्यू अपलोड किया गया।
 
एशिया नेट न्यूज़ पर सितम्बर , 2016 को एक इंटरव्यू अपलोड किया गया।
 
इन सारे वीडियोज़ में आतंकी बुरहान को एक हीरो की तरह पेश किया गया है।
 
जबकि दूसरी और पांच उल्लिखित आतंकवाद प्रभावित जिलो में से एक शोपियां का रहने वाला था भारतीय सेना का लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़। उसके बलिदान के बाद उसके परिवार वाले बुरी तरह से टूट गए थे। लेकिन एक आतंकी के घर पहुँच कर उसका महिमामंडन करने वाले मीडिया चैनल देश के लिए अपनी जान देने वाले उमर फैयाज़ के घर कोई नहीं पहुंचा। आतंकियों में पोस्टर-बॉय खोजने वाले मीडिया को आतंक से पीड़ित इस परिवार की कभी याद नहीं आई। आपको जानकर हैरानी होगी आतंकी बुरहान के घर और देशभक्त उमर फैयाज़ के घर में मात्र 40-50 मिनट का फासला है, लेकिन यह वो फासला था जिसे मीडिया हाउसेस का बजट पूरा नहीं कर पाया या हम कह सकते है अलगाववाद की पत्रकारिता को उमर फैयाज़ के परिवार में रेटिंग दिखायी नहीं दी।
 
 
आप यदि उमर फैयाज़ के घर जाए तो उसकी बड़ी बहन दिन भर अपने दादा- दादी की सेवा करने में लगी रहती है क्योंकि अपने जवान पोते को खोने के बाद वो टूट गए है, बीमार रहने लगे है। अपने पोते की मौत की खबर सुनने के बाद उमर के दादा जी को दिल का दौरा पड़ा जिस से वो आज तक नहीं उभर पाए हैं।
 
 
यही हाल उमर के माता पिता का भी है। दोनों बेटे की नौकरी लगने के बाद हज को जाना चाहते थे। लेकिन बेटे की मौत ने सब-कुछ बिखेर कर रख दिया। उमर के बलिदान के एक साल बाद उमर का छोटा भाई पैदा हुआ था, उमर के माता पिता ने उमर फैयाज़ की याद में उसका नाम भी उमर ही रखा है।
 
 

 
 
उमर फैयाज़ को निशाना क्यों बनाया गया?
 
  
परिवार वाले उमर फैयाज़ को याद करते है और बताते है की उमर बहुत मासूम बच्चा था। लेकिन अपनी पढ़ाई को लेकर वह बहुत संजीदा था। उमर के पिता जी की इच्छा उसे पायलट बनाने की थी, लेकिन मेडिकल कारणों से वह पायलट न बन सका और उनसे एनडीए ज्वाइन की। कश्मीर में नवोदय विद्यालय से पढ़ा यह नौजवान अपने गाँव में युवाओ के बीच एक प्रेरना बन रहा था। जब भी वह घर आता था तो उमर से मिलने बहुत सारे युवक आते थे और पूछते थे की वो कैसे आर्मी ज्वाइन कर सकते है। उमर उन्हें इस बात की पूरी जानकारी देता था और युवकों को मेहनत से आगे बढ़ने को कहता था। इसी बात से आतंकवादियों और अलगाववादियों की नज़रों में उमर फैयाज़ किरकिरी बनता जा रहा था और इसीलिये उमर फैयाज़ को निशाना बनाया।
आज आप यदि यारीपोरा में उमर फैयाज़ के गाँव जाए तो उसका साधारण-सा दो-मंजिला मकान आज भी उमर फैयाज़ के परिवार वालो को उसकी याद दिलाता है और देश के मीडिया से सीधा प्रश्न पूछ रहा है की देश के लिए प्रेरणा एक देशभक्त फौजी है या एक आतंकी। जिसके परिवार को कवर करने बड़ी संख्या में पत्रकार पहुंचे थे। मीडिया भले न पहुंचे। देश उमर फैयाज़ के नाम के साथ खड़ा है..।