20 जुलाई, 1995, पुरानी मंडी, जम्मू बम धमाके में हुई थी 17 हिंदूओं की मौत और 36 घायल, जब अमरनाथ यात्रा को रोकने के लिए किया था बड़ा आतंकी हमला
   09-जुलाई-2019
 
 
26 जनवरी 1995 को गवर्नर केवी कृष्णा राव जम्मू के एम.ए स्टेडियम में गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा ले रहे थे, अचानक 3 बम धमाके पूरे स्टेडियम को दहला देते है। गवर्नर केवी कृष्णाराव तो किसी तरह इस हमले में बच जाते हैं, लेकिन इंफॉर्मेशन डिपार्टेमेंट के 3 अधिकारियों समेत 8 लोग इस हमले में मारे जाते हैं और 45 घायल हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि 1995 तक कश्मीर घाटी में फैला इस्लामिक आतंकवाद किस कदर जम्मू क्षेत्र में भी फैल चुका था। दरअसल 1989 के बाद कश्मीर घाटी से करीब ढाई लाख कश्मीरी हिंदू अपना घर-बार, अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़कर जम्मू क्षेत्र में बस गये थे। जम्मू शहर में भी हजारों कश्मीरी हिंदू अस्थायी कैंपों में रह रहे थे। लेकिन इस्लामिक आतंकियों का प्लान पूरे जम्मू कश्मीर से हिंदूओं को बाहर निकालने का था, इसके लिए आतंकियों ने 1995 तक जम्मू डिवीज़न के अलग-अलग शहरों और गांवों में आतंकी हमले कर चुके थे। इसके अलावा कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को रोकने के लिए भी इस्लामिक आतंकी लगातार कोशिश कर रहे थे। जिसके चलते 1995 में जम्मू में अचानक आतंकी हमलों में काफी तेज़ी देखने को मिली।
 
 
 
जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों के बावजूद राज्यपाल प्रशासन इस साल भी अमरनाथ यात्रा को अबाध रूप जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध था। हजारों श्रद्धालुओं यात्रा में हिस्सा लेने के लिए जम्मू पहुंच रहे थे। आतंकी कश्मीर घाटी में अमरनाथ यात्रा को रोकने के लिए लगातार धमकियां दे रहे थे। लेकिन राज्य प्रशासन अगस्त महीने से शुरू होने वाली यात्रा को आयोजित करने में जी-जान से जुटा था। हताश आतंकियों ने आखिरकार एक बड़े हमले की साजिश को अंजाम देने का प्लान बनाया।
 
 
 
जम्मू का पुरानी मंडी इलाका एक पुराना प्रसिद्ध बाजार था, जहां चारों तरफ हिंदूओं की की दुकानों और खरीदारों से खचाखच भरी होती थी। 20 जुलाई 1995 के दिन आरडीएक्स एक्सप्लोसिव से भरी एक ऑटोरिक्शा में बाजार में दाखिल हुई और आत्मघाती आतंकी ने ऑटोरिक्शा को भीड़-भाड़ वाले इलाके में ले जाकर उड़ा दिया। धमाका इतना तेज़ का था, कई सौ मीटर दूर दूसरे सटे हुए इलाकों में भी इस धमाके कंपन महसूस किया गया। इस धमाके में 15 लोग मौके पर ही मारे गये, जबकि 36 से ज्यादा लोग घायल हुए। जिनमें 2 घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। कुल मिलाकर इस धमाके में कम से कम 37 आम शहरियों की जान गयी।
 
 
पाकिस्तानी आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली। हरकत-उल-अंसार द्वारा जारी बयान में कहा गया कि- ये हमला अमरनाथ यात्रा में आने वाले यात्रियों और प्रबंधन का काम देखने वाले अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है।”
 
 
इस धमाके के बाद जम्मू वासियों में भी आतंक के गुस्से और भय का बड़ा ज्वार देखने को मिला। साफ था कि केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार की एजेंसियां आतंक को रोक पाने में नाकाम थीं। हालात इस कदर बदतर हो चले थे कि जम्मू में भी लोग सुरक्षित नहीं थे। जिसके खिलाफ घाटी में कईं दिनों तक विरोध प्रदर्शन होते रहे। इस मामले में कईं गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन धमाके के लिए जिम्मेदार हरकत-उल-अंसार के आतंकियों को पुलिस पकड़ने में नाकाम रहीं और इसके बाद भी अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले जारी रहे।