J&K: जम्मू एयरपोर्ट वापिस लौटाये गये गुलाम नबी आज़ाद, कारगिल में प्रदर्शन के लिए स्थानीय नेता को फोन कर रहे हैं कांग्रेसी और कम्यूनिस्ट नेता
   20-अगस्त-2019
 
 
 
मंगलवार को कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद दिल्ली से जम्मू की फ्लाइट लेकर जम्मू एयरपोर्ट पर उतरे, तो सुरक्षा एजेंसियों ने मौजूदा हालात की संवेदनशीलता को देखने के लिए गुलाम नबी आजाद को बाहर निकलने नहीं दिया और वापिस दिल्ली भेज दिया गया। इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने इससे पहले 8 अगस्त को श्रीनगर जाने की कोशिश की थी, तब भी उनको एयरपोर्ट से ही वापिस भेज दिया गया था।
 
 
 
 
 
 
दरअसल आर्टिकल 370 को हटाने और राज्य पुनर्गठन के बाद जम्मू कश्मीर में लगातार सामान्य हालात बने हुए है। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, धीरे-धीरे तमाम पाबंदियां लगभग हटाई जा रही हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक अभी तक पुलिस को एक भी गोली चलानी नहीं पड़ी है। लेकिन विपक्षी पार्टियां बैचेन हैं, वो बीजेपी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में लगातार नाकाम रही हैं। इस बीच सूत्रों से खबर मिली है कि लोकतांत्रिक अधिकारों के नाम पर कांग्रेस समेत कम्यूनिस्ट पार्टियां लगातार माहौल को भड़काने की कोशिश में जुटी हैं, खासतौर पर लद्दाख के कारगिल जिले में।
 
 
 
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के नेता कारगिल के एक स्थानीय नेता को विरोध प्रदर्शन करने के लिए लगातार फोन कर रहे हैं, इन स्थानीय नेता ने हाल में ही आजाद उम्मीदवार के तौर पर लद्दाख सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसने कारगिल से खासे वोट बटोरे थे। कारगिल में 10/11 अगस्त को हल्का प्रदर्शन भी हुआ था। लेकिन इसके बाद कोई विरोध देखने को नहीं मिला था। सूत्रों के मुताबिक इससे मायूस कांग्रेस की भावी अध्यक्ष और मौजूदा महासचिव ने इन स्थानीय फोन कर बात की है, आश्वासन दिया गया कि अगर वो प्रदर्शन लीड करते हैं, तो कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर उसका साथ देगी। हैरत की बात ये है कि लद्दाख में कांग्रेस का खासा काडर है, लेकिन कांग्रेस खुद अपने स्थानीय नेताओं के जरिये लद्दाख में पुनर्गठन के खिलाफ आवाज नहीं उठा रही।
 
 
कारगिल के इन्हीं नेता को सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी फोन कर समर्थन देने का आश्वासन दिया है। सीपीएम भी चाहती है कि वो कारगिल में विरोध प्रदर्शन को नये सिरे से शुरू करें।
 
 
सूत्रों की माने तो दिल्ली से चलने वाली कईं प्रोपगैंडा न्यूज वेबसाइट के एक संपादक भी इसी नेता को फोन कर फुल कवरेज देने का वायदा कर चुके हैं। न्यूज वेबसाइट ने खास अपने प्रतिनिधि को भेजकर ये संदेश कारगिली नेता तक पहुंचाया है।
 
 
 
सूत्रों के मुताबिक ये स्थानीय नेता सरकार के फैसले से नाराज़ जरूर हैं, लेकिन फिलहाल दिल्ली की कठपुतली बनने को कतई तैयार नहीं है। वो समझ गये हैं कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का फैसला वापिस तो होने वाला नहीं हैं, ऐसे में अपने कुछ सुझाव केंद्र सरकार तक पहुंचाने को तैयार हैं, अगर केंद्र सरकार उनसे बात करना चाहे तो।