देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ आरोप
   22-अगस्त-2019

जम्मू कश्मीर नाउ रिपोर्ट
 
 
श्री पी चिदंबरम ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 और 13 के साथ पढ़ने वाली धारा 120 बी के तहत अपराधों के लिए अग्रिम जमानत मांगी।
 

 
 
श्री पी चिदंबरम के खिलाफ व्यापक आरोप आईएनएक्स मीडिया द्वारा प्रस्तावित टीवी चैनल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने के लिए कार्ति द्वारा नियंत्रित कंपनियों और कंपनियों के माध्यम से उनके बेटे कार्ति चिदंबरम द्वारा प्राप्त किकबैक से संबंधित हैं। सीबीआई द्वारा की गई जांच के दौरान दर्ज किए गए बयानों से पता चला है कि कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित कंपनियां किसी भी वास्तविक व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम नहीं दे रही थीं। जांच से पता चला कि इन कंपनियों द्वारा किए गए कई लेन-देन वास्तविक नहीं थे और कंपनी द्वारा उत्पन्न राजस्व नकली लेनदेन और नकली चालान बढ़ाने के माध्यम से किया गया था। कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित कंपनियों को प्राप्त धन वास्तव में एक प्रस्तावित टीवी चैनल में निवेश के लिए INX मीडिया को एफडीआई स्वीकृति देने के लिए, वित्त मंत्री के रूप में ,पी चिदंबरम द्वारा INX मीडिया को दी गई मंजूरी के लिए प्राप्त अवैध संतुष्टि था। कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित फर्मों द्वारा प्राप्त अवैध धन का उपयोग बाद में अन्य कंपनियों में निवेश करने और संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था। सरल शब्दों में, अवैध स्रोतों से प्राप्त धन का उपयोग निवेश को वैध बनाने के लिए किया गया था। यह मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन को सफेद धन में परिवर्तित करने का एक स्पष्ट मामला था।
 
चूंकि, इस मामले में करोड़ों का अवैध धन शामिल है, इसलिए अग्रिम जमानत देना ईडी और सीबीआई द्वारा की जा सकने वाली जांच के लिए अत्यधिक पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकता है। श्री पी चिदंबरम का हिरासत में पूछताछ बड़ी साजिश का पता लगाने में मदद करेगा।
 
जहाँ तक सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष होने वाली घटनाओं का विषय है , जो भी हुआ वह सर्वोच्च न्यायालय के नियमों, 2013 के अनुसार था। सर्वोच्च न्यायालय के नियमो के अनुसार जब कोई नया मामला या केस उसके समक्ष आता है, तो उसकी सुनवाई के लिए उसे लिस्ट होना पड़ता हैं। अगर कोई मुवक्किल अपना कोई ऐसा मामला लिस्ट करना चाहता हैं जों अभी तक कभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लिस्ट नहीं हुआ है (जहां न्यायालय ने दूसरी पार्टी को नोटिस जारी नहीं किया है), तो उसको उस मामले का उल्लेख केवल मुख्य न्यायाधीश की पीठ के सामने ही करना होता है। मामले को सूचीबद्ध कराने के लिए वह मुख्या न्यायाधीश की पीठ के अलावा किसी अन्य पीठ के सामने उल्लेख कर के सूचीबद्ध नहीं करा सकता। । पी चिदंबरम के लिए यह उम्मीद करना अनुचित था कि उनके मामले को विशेष रूप से सूचीबद्ध किया जाना चाहिए, जब इसे उसी दिन दायर किया गया था और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दैनिक कार्यसूची में प्रकाशित नहीं किया गया था। न्यायमूर्ति राममाना की पीठ इस मामले को सूचीबद्ध नहीं कर सकती थी क्यूंकि सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने ही ताजा मामले का उल्लेख किया जा सकता है । कानून सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।पी चिदंबरम के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया जा सकता।