नई व्यवस्था में बंद हो सकती दरबार मूव परंपरा, भारत सरकार के बचेंगे 6 सौ करोड़ रुपये
   22-अगस्त-2019

 
जम्मू-कश्मीर में लागू होने वाली नई व्यवस्था में 143 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा बंद हो सकती है। दरबार मूव परंपरा पर राज्य सरकार हर साल करीब 6 सौ करोड़ रुपये फिजूल खर्च करती है। इस परंपरा के कारण जम्मू-कश्मीर सचिवालय हर साल के 6 महीने श्रीनगर और 6 महीने जम्मू में कार्य करता है। इस दौरान सचिवालय सहित अन्य प्रमुख कार्यालयों में कार्य करने वाले करीब 8 हजार कर्मचारी परिवार समेत 6 महीने श्रीनगर और 6 महीने जम्मू में रहते है। जिसके ऊपर सरकार हर साल 6 सौ करोड़ रुपये खर्च करती है।
 
 
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर केन्द्रशासित प्रदेश बन जाएगा। जिसके बाद वहां पर नई व्यवस्था लागू होने के साथ-साथ भारतीय संविधान के सभी नियम लागू होगें। भाजपा और जम्मू-कश्मीर के कई दलों की पुरानी मांग है कि दरबार मूव परंपरा को बंद किया जाए, जिससे फिजूल के खर्चों पर रोक लगाई जा सके।
 
क्या हैं दरबार मूव परंपरा ?
 
1872 में डोगरा शासन के महाराजा गुलाब सिंह ने जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए दरबार मूव परंपरा शुरुआत की थी। इसके तहत शीतकालीन समय में महाराजा का दरबार श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट कर दिया जाता था। फिर गर्मी के समय अप्रैल के आखरी सप्ताह में दरबार श्रीनगर वापस शिफ्ट कर दिया जाता था। महाराजा के दरबार को शिफ्ट करने पर दोनों ही जगहों पर उनके स्वागत में बड़ा समारोह आयोजित किया जाता था। देश में से महाराजा शासन खत्म होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर से यह दरबार मूव परंपरा बंद नहीं हुई।
 
इस परंपरा के कारण सरकार का फिजूल खर्च होता
 
इस परंपरा के तहत सचिवालय सहित अन्य प्रमुख कार्यालयों में कार्य करने वाले करीब 8 हजार दरबार मूव कर्मचारियों को भत्ते के तौर पर 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। साथ ही इन कर्मचारियों और उनके परिवार के रहने का खर्चा भी सरकार उठाती है। जिसपर हर साल सरकार 6 सौ करोड़ रुपये का खर्च करती है।
दरबार मूव परंपरा बंद होने से क्या फायदे होगें ?
 
 
इस परंपरा के बंद होने से सरकार के हर 6 महीने पर सचिवालय शिफ्ट करने के खर्च बचेंगे। जिसके बाद सरकार उन रुपयों का इस्तेमाल किसी अन्य विकास के कार्यों पर कर सकती है। तकनीक के इस युग में हर काम इंटरनेट के जरिए संभव है, ई-फाइलों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह फाइलों को भेजा जा सकता है।