प्रेज़िडेंशियल ऑर्डर 2019 ने रचा इतिहास, बदला जम्मू कश्मीर का भूगोल, जानिए कैसे चमकेगी जम्मू कश्मीर और लद्दाख की किस्मत
   06-अगस्त-2019

 
 
5 अगस्त 2019 को जारी किया गए राष्ट्रपति के संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) आर्डर 272 , 2019 ने राष्ट्रपति के 1954 के आर्डर 48 को हटा दिया और इसके साथ ही 1954 के आर्डर और उसके बाद के सभी संशोधन /आर्डर भी हट गए, यानि 2019 के आर्डर ने इनका अधिक्रमण कर दिया . इसके फलस्वरूप अमानवीय, बुनियादी अधिकारों के हनन करने वाला, तर्कहीन अनुच्छेद 35 A भी हट गया।
 
निस्संदेह राष्ट्रपति के इस आर्डर से वे लोग बौखलाए हुए हैं, जिन्होंने 35 A जैसे प्रावधानों के दुरुपयोग कर जम्मू कश्मीर, विशेष रूप से कश्मीर घाटी के लोगों के बरसों शोषण किया. इन लोगों ने अपनी कुपित मानसिकता से धर्म और क्षेत्रीय आधार पर ऐसा प्रचार किया जिससे जम्मू कश्मीर और देश के अन्य नागरिकों के बाच एक दीवार बन गयी. 35 A के ज़रिये स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र या परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट-पीआरसी, जैसी शर्तों से न केवल देश के नागरिकों के अधिकारों के हनन किया बल्कि जम्मू कश्मीर के निवासियों के भी नुकसान किया. इस प्रावधान से जम्मू कश्मीर में 60 से 70 वर्षों से रहने वाले भारतीय नागरिकों को पीआरसी न देकर दोयम दर्ज़े के नागरिक बना दिया और उनके सभी स्थानीय अधिकार छीन लिए.
 
 
35 A के हटने से अब जम्मू कश्मीर में बहुत से ऐसे नियम समाप्त हो जायेंगें जो भेदभाव पूर्ण थे और बहुत सी ऐसी समस्याओं के निदान होगा जो न केवल देश ले अन्य हिस्सों की जनता वरन जम्मू कश्मीर की जनता के लिए भी घातक थे। उदहारण के लिए:
 
i . जम्मू कश्मीर की महिलाओं के पैतृक संपत्ति के अधिकार
 
 
ii. पीओजेके से विस्थापित 5300 परिवार जो स्टेट सब्जेक्ट / स्थानीय निवासी होते हुए भी, विस्थापन के बाद देश के अन्य राज्यों में रह रहे थे।
 
 
iii. राज्य के मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल्स में अब अन्य राज्यों से योग्य डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स आएंगे।
 
 
iv राज्य के मेडिकल कॉलेजेस में कुछ सीट्स में देश के अन्य छात्रों को कोटा ना देने से राज्य के मेडिकल छात्रों को राज्य से बाहर कोटा नहीं मिलता, जिसके कारण जम्मू कश्मीर के मेडिकल छात्रों के नुकसान हो रहा है।
 
 
v. 1947 से जम्मू कश्मीर में बसे वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी, जो Government Notification No.578-C 0/5 1954 of 7.5.1954 से वहाँ खेती कर रहे हैं, पर उनको सरकारी प्रोफेशनल कॉलेजेस में एडमिशन नहीं दिया जाता है और सरकारी नौकरियां नहीं दी जाती।
 
 
vi 1957 में जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा पंजाब से लाये गए 200 से अधिक वाल्मीकि/सफाई कर्मचारी परिवार, जिनकी आज संख्या बढ़ कर हज़ारों में है, जिन्हें केवल सफाई कर्मचारी की नौकरी मिल सकती है, अन्य कोई अधिकार नहीं।
 
 
vii. अनुसूचित जनजाति को राज्य विधायिका में आरक्षण।
 
 
vii. ओबीसी को सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
 
 
viii. 6-14 वर्ष के बच्चों के शिक्षा के मूलभूत अधिकार।
 
 
ix. राज्य विधान सभा में अनुसूचित जाति/ एससी आरक्षित सीट को 7 से बढाकर 9 करना चूंकि विधानसभा के सीटें 1987 में 76 से बढाकर 87 कर दी गयीं, लेकिन एससी सीट्स नहीं बधाई गयीं।
 
 
x. परिसीमन आयोग/ डीलिमिटेशन कमीशन का गठन जो असंवैधानिक तरीके से 2031 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
 
 
xi 73 वें संविधान संशोधन को लागु कर पंचायती राज मज़बूत बनाना।



xii परम वीर चक्र से सम्मानित सेना के जवानों को राज्य में ज़मीन व अन्य सुविधाएँ देना।
 
 
xii राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं इंडस्ट्री / उद्योग को बढ़ाना आदि ।
 
निस्संदेह राष्ट्रपति के आर्डर 272 से जम्मू कश्मीर में एक नयी शुरुवात होगी परन्तु साथ ही सामाजिक और राजनितिक स्तर पर राज्य के हर कोने में इस आर्डर के बारे में जागरूकता लेन की आवश्यकता है, क्योंकि अपनी स्वार्थ पूर्ण राजनीती के चलते कुछ लोग इस बारे में कई अफवाहें फैला रहे हैं. 'विशेष दर्ज़ा' जो राज्य को कभी नहीं दिया गया था, उस विशेष दर्ज़े के छिन जाने की बात कर रहे हैं, और भी झूठ फैला रहे हैं, जिसके कारण आम लोगों में चिंता पैदा हो सकती है।
 
हमारे प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी, और बड़े नेता व मंत्री जैसे श्री राजनाथ सिंह, श्री अमित शाह, श्री जे पी नड्डा भरसक प्रयत्न कर रहे हैं और पूरी सावधनी बारात रहे हैं, परन्तु जो लोकल काडर है उसे आम आदमी के बीच जाकर ग्राउंड में काम करना होगा, विशेष रूप से कश्मीर घाटी में, जिससे स्थिरता, शांति बनी रहे और आपसी सामंजस्य रहे।