कांग्रेस नेता कर्ण सिंह और विक्रमादित्य सिंह ने भी अनुच्छेद 370 और पुनर्गठन बिल का किया समर्थन
   08-अगस्त-2019

 
 
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होने के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी दो भागों में बंट गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने भी भाजपा सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। डॉ. कर्ण सिहं जम्मू कश्मीर विरासत के आखिरी राजा हरि सिंह के पुत्र हैं, जम्मू कश्मीर के पहले सदर-ए-रियासत रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाना स्‍वागत योग्‍य कदम है, मेरी मुख्‍य चिंता जम्‍मू-कश्‍मीर के सभी वर्गों और क्षेत्रों के कल्‍याण की है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वो 1965 में जब वो जम्मू कश्मीर के सदर-ए-रियासत थे, तो उन्होंने भी जम्मू कश्मीर को लेकर ये ही सुझाव दिया था।
 
 
 
कर्ण सिंह ने अपने बयान में लिखा है कि...
 
 
मैं मानता हुं, कि संसद में तेजी से हुए इस फैसले ने सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है। इस फैसल का जम्मू ,लद्दाख सहित पूरा देश समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मैं इन घटनाओं की घोर निंदा करने से सहमत नहीं हूं। इस फैसले में कई सकारात्मक बिंदू है, केन्द्रशासित प्रदेश के रुप लद्दाख का स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में मैंने यही सुझाव 1965 में दिया था, जब मैं जम्मू कश्मीर का सदर- ए- रियासत था। मुझे उम्मीद है कि लेह और कारगिल की पहाड़ी परिषदों का काम जारी रहेगा। उन्होंने कश्मीरी नेता उमर अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती और उनके पार्टी का ज्रिक करते हुए कहा कि, इन दोनों नेताओं की पार्टी क्षेत्रीय पार्टी है, इन्हें राष्ट्र विरोधी कहना गलत होगा। इन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कई वर्षों से भारी पैमाने पर त्याग किया है। ये दोनों पार्टियां समय-समय पर केन्द्र और राज्य सरकार के राजनैतिक सहयोगी भी रही है। इस लिए मेरा मानना है कि इन दोनों नेताओं को जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए।
 
 
वहीं विक्रमादित्य सिंह ने भी अनुच्छेद 370 का समर्थन करते हुए अपने बयान में कहा कि
 
यह फैसला जम्मू कश्मीर ,लद्दाख और हम सबके लिए एक नए युग की शुरुआत है। जम्मू कश्मीर राज्य का अब भारत में पूर्ण एकीकरण हुआ। जिसका मैं पूरी तरह से समर्थन करता हूं। उन्होंने कहा कि अब जम्मू कश्मीर में महिला, अल्पसंख्यक समुदायों को भारत के संविधान के तहत समान अधिकार मिलेगा। मैं उम्मीद करता हु कि जम्मू कश्मीर एक प्रगतिशील और शांतिपूर्ण माहौल में आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वो अपने पिता कर्ण सिंह के विचारों का समर्थन करते है।
 
 
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 6 अगस्त को लोकसभा में पारित हो गया। बिल के पक्ष में 370 वोट जबकि विपक्ष में 70 वोट पड़े। इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी दो भाग में बंट गई, एक भाग में वो नेता जो कांग्रेस पार्टी का दामन थाम कर अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध कर रहे थे। दूसरे वो नेता है, जो भाजपा सरकार के अनुच्छेद 370 को हटाने और पुनर्गठन बिल को लाने का समर्थन कर रहे है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंह, दीपेंदर हुड्डा, जनार्दन द्विवेदी जैसे नेता शामिल हैं।