आतंकी यासीन मलिक पर 30 साल बाद फिर से शुरू होगी सुनवाई, 4 एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या के केस में जम्मू टाडा कोर्ट में ट्रायल शुरू
   11-सितंबर-2019

 
करीब 30 साल बाद एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या के मामले में जेकेएलफ आतंकी यासीन मलिक पर दोबारा सुनवाई शुरू हो चुकी है। बुधवार से जम्मू की टाडा कोर्ट में इसका ट्रायल शुरू हुआ। कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन से यासीन मलिक को सुनवाई में शामिल होने के लिए कहा है। जिसकी अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी। आपको बता दें प्रतिबंधित संगठन जेकेएलफ आतंकी फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। कोर्ट ने एक और आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है।
यासीन मलिक के खिलाफ हालिया कार्रवाई शुरू होने के बाद उस हमले में मारे गये स्क्वड्रैन लीडर रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि जब स्क्वड्रैन लीडर रवि खन्ना मारे गये उस वक्त उनकी उम्र 38 साल थी। आज 30 साल बाद जीवन के खत्म होने से पहले न्याय की उम्मीद की किरण दिखाई दी है।
 
4 एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या का मामला
 
 
मामला 25 जनवरी 1990 का है, जब बड़गाम में सुबह साढे 7 बजे एक बस-स्टॉप पर 14 एयरफोर्स के अधिकारी अपनी बस का इंतजार कर रहे थे। जिन्हें पास ही के बड़गाम एयर बेस पर जाना था। बस स्टॉप पर सिविलियन भी मौजूद थे, वो भी बस के इंतजार में थे। तभी एक जिप्सी और मोटरसाइकिल पर यासीन मलिक समेत कईं आतंकी बस स्टॉप पर आकर रूके और एयरफोर्स अधिकारियों पर एके-47 और पिस्टल से अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी।
 
इस फायरिंग में एयरफोर्स के तमाम अधिकारी सड़क पर घायल होकर गिर पड़े। गोलीबारी कर आतंकी फरार हो गये। इस फायरिंग में 4 अधिकारी मौके पर ही मारे गये। जिसमें स्क्वड्रैन लीडर रवि खन्ना, कॉरपोरल डीबी सिंह, कॉरपोरल उदय शंकर और एयरमैन आजाद अहमद शामिल थे। बाकी तमाम अधिकारी घायल हो गये। फायरिंग में 2 अन्य महिलाएं भी मौके पर ही मारी गयीं, जोकि वहां बस का इंतजार कर रही थी।
 
इस मामले में यासीन मलिक और उसके दूसरे साथी आतंकियों पर मामला दर्ज हुआ। लेकिन कभी ट्रायल कोर्ट से आगे नहीं बढ़ा। जिसके बाद इस मामले को दबा दिया गया। यासीन मलिक कश्मीर की गलियों में खुलेआम घूमता रहा। कांग्रेस सरकार के दौरान यासीन मलिक को विदेश जाने, पाकिस्तान जाकर शादी करने की भी छूट दी गयी।
 
लेकिन पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार ने यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को बैन किया और यासीन मलिक को गिरफ्तार् कर तिहाड़ में डाल दिया। जिसके बाद से ही यासीन मलिक पर पुराने केस खुलने की शुरूआत हुई।