श्रीनगर, NDTV, Reuters और AP के “मठाधीश पत्रकारों” ने कर रखा है आलीशान सरकारी मकानों पर कब्ज़ा, सरकार ने खाली करने को कहा तो कश्मीर प्रेस क्लब ने बताया उत्पीड़न
   04-सितंबर-2019

 
जम्मू कश्मीर से संबंधित आर्टिकल 370 के हटने और राज्य पुनर्गठन के बाद श्रीनगर के मठाधीश पत्रकार नाराज़ क्यों है, इसकी असली कहानी धीरे-धीरे साफ होने लगी है। इन पत्रकारों को श्रीनगर में अपनी एकछत्र सत्ता और उसके फायदों को खोने का डर सताने लगा है। जिसकी शुरूआत हो चुकी है, हाल ही में राज्य सरकार ने श्रीनगर के कम से कम 3 वरिष्ठ पत्रकारों को सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया है। जिसमें वो बिना किसी योग्यता के रह रहे थे। कहा जा रहा है कि इन आवास को पिछली सरकारों ने “पत्रकारीय सेवाओं” के बदले आवंटित किया गया था। हालांकि ऐसा किसी नियम के तहत संभव नहीं है..। सरकारी आवास में रहने वाले इन पत्रकारों के नामों का खुलासा खुद कश्मीर प्रेस क्लब ने किया है। इनमें एनडीटीवी के ब्यूरो चीफ नज़ीर मसूदी, रायटर्स के वरिष्ठ प्रतिनिधि फैयाज़ बुखारी और एसोसिएटेड प्रेस के एजाज़ हुसैन के नाम शामिल हैं। राज्य सरकार ने इन पत्रकारों में तुरंत सरकारी आवास खासी करने को कहा है।
 

 
 
पत्रकारीय नैतिकता की इंतेहा देखिए श्रीनगर पत्रकारों के गुट कश्मीर प्रेस क्लब ने इन पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करवाने के बजाय उल्टे राज्य सरकार पर ही उत्पीड़न का आरोप लगा डाला है। कश्मीर प्रेस क्लब ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि सरकार कश्मीरी पत्रकारों का उत्पीड़न कर रही है और दबाव बनाकर सरकारी पक्ष में झुकने को मज़बूर कर रही है।
 

 
श्रीनगर के पत्रकारों को करीब से जानने वाले मानते हैं पिछले 70 सालों में जम्मू कश्मीर में सत्ता की मलाई चाटने वालों में श्रीनगर के पत्रकार भी कभी पीछे नहीं रहे। नतीजे में श्रीनगर के मठाधीशों हमेशा केंद्र सरकार को तो गालियां जमकर दी। लेकिन कभी राज्य सरकार पर उंगली उठायी। अब 370 के हटने के बाद उन्हें इन्हीं सुविधाओं के खोने और पुराने घोटाले के सामने आने का डर सताने लगा है। लिहाज़ा खुलेआम केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ प्रोपगैंडा वॉर में जुटे हैं।