“मुस्लिम उम्मा का मामला नहीं है कश्मीर”, यूएई की पाकिस्तान को दो टूक
   06-सितंबर-2019

 
4 सितंबर को यूएई और सऊदी अरब के विदेश मंत्री पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे। मुस्लिम उम्मा के नाम पर इस दौरे से पाकिस्तान को उम्मीद थी कि दोनों जम्मू कश्मीर के मामले में पाकिस्तान के पक्ष में कुछ बयान ज़रूर देंगे। जिससे पूरी दुनिया में अकेले पड़ा पाकिस्तान को कूटनीतिक सफलता का ढिंढोरा पीट दुनिया को दिखा पाता। लेकिन हुआ इससे ठीक उल्टा, यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जाएद बिन सुल्तान अल नाहयान ने पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर के मामले में टो-टुक कहा कि- कश्मीर मुस्लिम उम्मा का इश्यू नहीं है, बल्कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच का मसला है।
 
सऊदी विदेश मंत्री आदिल बिन अहमद अल जुबैर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आर्मी चीफ बाजवा के साथ मीटिंग की थी। जिसमें यूएई ने पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर कहा कि पाकिस्तान को चाहिए कि कश्मीर को मुस्लिम समुदाय से जुड़ा इश्यू न बनाया जाये। बल्कि भारत के साथ आपसी बातचीत से इस मसले को सुलझाया जाये। दरअसल आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जम्मू कश्मीर को मुस्लिम इश्यू बनाने में जुटा है। पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा है कि मुस्लिम देश भी कश्मीर मामले में पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हों। लेकिन पाकिस्तान अभी तक इसमें नाकाम ही रहा है। उल्टे हाल ही में यूएई ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च सम्मान मेडल ऑफ जायद से सम्मानित किया था। जिससे नाराज पाकिस्तानी सीनेट के चेयरमैन ने यूएई की दौरा रद्द कर दिया था।
 

 
यूएई और सऊदी विदेश मंत्रियों के दौरे पर पाकिस्तान में एक और हलचल शुरू हो गयी है। सूत्रों को माने तो दोनों विदेश मंत्री पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की रिहाई से संबंधित डील के लिए पाकिस्तान में थे। जोकि नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो द्वारा दायर करप्शन के केस में इस वक्त कोट लखपत जेल में हैं। इमरान सरकार गुप्तखाने में लगातार कोशिश कर रही है कि नवाज शरीफ कम से कम 100 बिलियन डॉलर का जुर्माना भर दें तो देश छोड़कर जाने की इजाजत नवाज शरीफ को दे सकती है। माना जा रहा है कि नवाज शरीफ कुछ शर्तों के साथ इस डील को मानने के लिए तैयार भी हैं। हालांकि सार्वजनिक तौर पर इमरान सरकार और नवाज शरीफ किसी भी डील से साफ मना करते रहे हैं।
 
सऊदी अरब और यूएई सरकारों से नवाज शरीफ के करीबी रिश्ते होने के चलते दोनों ही सरकारें इसमें दिलचस्पी ले रही हैं। इन दोनों सरकारों को बिचौलिया बनाकर ही नवाज शरीफ डील साइन करने की सोच रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा, कि डील का नतीज़ा कब सामने आता है।