ट्रंप ने तालिबान के साथ शांति समझौता किया रद्द, तालिबान से ज्यादा पाकिस्तान को बड़ा झटका
    08-सितंबर-2019
 
 
 
 
संडे सुबह यूएस प्रेज़ीडेंट ने ट्वीट कर एक बड़ा धमाका किया। जिसका सबसे बड़ा असर पाकिस्तान को झेलना पड़ेगा। प्रेजीडेंट ट्रंप ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ चल रही पीस-डील उन्होंने रद्द कर दी है। ट्रंप के अनुसार डील पर अंतिम फैसला करने के लिए तालिबान के लीडर्स और अफगानिस्तान के प्रेज़ीडेंट अशरफ गनई के साथ संडे को कैंप डेविड में गुप्त मीटिंग करनी थी। जिसकी जानकारी सिर्फ कुछ महत्वपूर्ण लोगों को थी। लेकिन इससे पहले तालिबान ने हाल ही में काबुल में हुए हमले की जिम्मेदारी कबूल कर ली। जिसमें एक अमेरिकी सैनिक समेत 12 लोग मारे गये थे। ट्रंप के अनुसार तालिबान इस हमले की जिम्मेदारी लेकर अपनी ताकत दिखाना चाहते थे। जिससे वो प्रेज़ीडेंट ट्रंप से और ज्यादा मोल-भाव कर सकें। लेकिन इससे पहले कि तालिबान लीडर यूएस पहुंच पाते। ट्रंप ने डील कैंसिल करने की घोषणा कर दी।
 
 

 
 
 
इस डील के यूएस मध्यस्थ ज़ल्मे खलीलज़ाद ने सोमवार को ही कहा था कि डील तय उम्मीदों के हिसाब से हो रही है। जिसके लिए यूएस और तालिबान के मध्यस्थों के बीच दोहा में 9 राउंड की बातचीत हुई थी। इस डील के मुताबिक 20 हफ्तों के अंदर यूएस करीब 54,00 सैनिकों को अफगानिस्तान से निकालने वाला था। आपको बता दें कि इस वक्त अफगानिस्तान में यूएस के करीब 14 हज़ार सैनिक हैं। पिछले चुनाव के दौरान प्रेज़ीडेंट ट्रंप ने इन तमाम सैनिकों की यूएस वापसी का वायदा किया था। अगले साल ट्रंप फिर से चुनाव लड़ सकते हैं, लिहाजा ट्रंप के लिए ये डील बेहद महत्वपूर्ण थी।
 
 
जानकारों के मुताबिक प्रेज़ीडेंट ट्रंप ने तालिबान के साथ ये डील करने में सीआईए और मिलिट्री इंटैलीजेंस को भी दरकिनार कर दिया था।
 
 
 
 
 
 
 
पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका
 
 
तालिबान की लीडर्स पर 90 के दशक के बाद से ही पाकिस्तान का खासा प्रभुत्व है। इनके बड़े लीडर्स अफगानिस्तान से जुड़े हिस्से वाले पाकिस्तान के इलाके में रहते हैं और वहीं से सरकार चलाते हैं। यूएस ये बात अच्छी तरह जानता है, इसी वो पाकिस्तान को इस डील के बदले हर तरह कि रियायत देने को तैयार था। हाल ही में आईएमएफ भी पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का पैकेज देने को तैयार हो गया था। इसके पीछे भी अमेरिकन दबाव ही था। इस डील के कैंसिल होने के बाद ये डील भी खतरे में पड़ सकती है। हाल ही में जब पाकिस्तानी पीएम इमरान खान यूएस गये थे, तो इसी डील के बदले यूएस कईं रियायत पाकिस्तान को देने को राजी हो गया था। यहां तक कि प्रेज़ीडेंट ट्रंप ने कश्मीर मामले में भी मध्यस्थता की बात इसी डील की बाबत की थी।
 
 
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वो डील के बहाने यूएसे काफी कुछ भाव-तोल कर सकते हैं। पाकिस्तानी जानकार तो यहां तक कहने लगे थे, कि इस डील के बदले पाकिस्तान यूएस को घुटनों पर ला सकता है और कोई भी बात मनवा सकता है।
 
 
ऐसे में जब डील ही कैंसिल हो गयी तो यूएस के लिए पाकिस्तान के रोल की भी कोई हैसियत नही रह जाती।
 
 
 
इसके अलावा पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी भी धीरे-धीरे खत्म कर दी जायेगी। जो कि पाकिस्तान के लिए एक बडी डिप्लोमैटिक जीत होती। लेकिन पाकिस्तान का हर पासा उल्टा पड़ गया।
 
 
 
 
तालिबान इस डील के बदले एक समझौता करने वाले थे कि वो कभी अफगानिस्तान में यूएस के लिए खतरा बनने वाले आतंकियों को अड्डा बनाने नहीं देंगे। आपको बता दें कि तालिबान के कब्ज़े में फिलहाल अफगानिस्तान का लगभग 40 फीसदी हिस्सा है।
 
 
 
2001 के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी हमले के बाद नाटो देशों के साढे 3 हज़ार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं, जिसमें से करीब 2300 अमेरिकन सैनिक हैं।