आतंकवाद से निपटने के लिये हमें बेहद कड़ा रुख अपनाने की जरूरत – सीडीएस बिपिन रावत
   16-जनवरी-2020

cds_1  H x W: 0
 
आतंकवाद से निपटने के लिये बेहद कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है। ठीक उसी तरह जिस तरह 9/11 आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय रायसीना डायलॉग प्रोग्राम में यह बात कही। बता दें कि 9 सितंबर 2001 (9/11) में आतंकियों ने अमेरिका के करीब 3 हजार लोगों को एक आतंकी हमले में मारा था। जिसके बाद अमेरिका ने 2 मई 2011 को पाकिस्तान में घुसकर अल-कायदा के सरगना और अमेरिका में आतंकी हमले के दोषी ओसामा बिन लादेन को उसी के ठिकाने पर मार गिराया था। बिपिन रावत ने कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिये आतंकवादियों के साथ-साथ उन सभी को अलग-थलग करने की जरूरत है जो आतंकवाद की फंडिंग या उसका बचाव करते हैं। उन्हें दंडित करना जरूरी है।
 
 
 
उन्होंने पाकिस्तान को निशाना बनाते हुये कहा किआतंकी गतिविधियां लंबे समय से जारी हैं और यह किसी खास देश द्वारा चलाई जा रही हैं। वे आतंकियों को छद्म युद्ध के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। वे उन्हें हथियार और धन मुहैया करा रहे हैं। जब तक कोई देश आतंकवादियों की मदद करेगा। उस समय तक हम आतंकवाद पर काबू पाने और रोकने में कामयाब नहीं हो सकते है।
 
 
 
 
आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। यह तब तक जारी रहेगा, जब तक हम इसकी जड़ तक न पहुंच जाएं।
 
 
 
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की मदद करने वाले देश को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैकलिस्ट करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। साथ ही उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना भी जरूरी है।
 
 
बिपिन रावत ने कार्यक्रम में कहा कि जब तब आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश हैं। तब तक हमें इस खतरे का सामना करते रहना पड़ेगा। हमें आतंकवाद से निर्णायक ढंग से निपटना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हमें ऐसा लगता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई खत्म होने वाली है, तो हम गलत हैं।
 
 
सीडीएस को लेकर जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सीडीएस एक ऐसा पद है, जो तीनों सेना प्रमुखों के समकक्ष बराबर तो है, लेकिन उसकी जिम्मेदारियां स्पष्ट और पूरी तरह परिभाषित हैं।
 
 
 
सेना द्वारा पत्थरबाजों के ऊपर पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर उन्होंने कहा कि 'पत्थर भी पैलेट गन जितना ही घातक है। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा पैलेट गन से सिर्फ पत्थरबाजों के पैरों को निशाना बनाया जाता है। चूंकि कई बार पत्थरबाज जमीन पर पड़े पत्थर उठाने के लिए झुकते हैं, तो उनके चेहरों पर भी पैलेट गन के छर्रे लग जाते हैं। उन्होंने बताया कि सेना कभी भी पत्थरबाजों के चेहरों को निशाना नहीं बनाती है।