7 जुलाई 1990, जब आतंकियों ने कश्मीर के जाने-माने बुजुर्ग शिक्षाविद्-विचारक संत दीनानाथ मुजू की नृशंस हत्या की #KashmiriHinduExodus #30YearsInExile
   18-जनवरी-2020

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अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा, दर्शन और कश्मीरी भाषा को समर्पित करने वाले पंडित दीनानाथ मुजू कश्मीर की जानी-मानी शख्सियत थे। वो कश्मीरी शैव दर्शन और कश्मीरी भाषाविद् होने के नाते इस्लामिक आतंकी उनको खतरे के तौर पर देख रहे थे। 78 वर्षीय दीनानाथ अपनी पत्नी और बच्चों के साथ श्रीनगर के रावलपोरा इलाके में रहते थे। जुलाई 1990 से पहले घाटी में कश्मीरी हिंदूओं की हत्यायें शुरू हो चुकी थी। हरेक जानी-मानी हिंदू शख्सियतों को चुन-चुन कर मारा जा रहा था। दीनानाथ मुजू को भी कश्मीर घाटी छोड़ने की लगातार धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने आखिरका अपने बच्चों को घाटी छोड़ने के लिए राजी कर लिया। दीनानाथ के बच्चों ने घाटी छोड़ दी। लेकिन खुद अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि श्रीनगर को छोड़ने का साहस नहीं कर पाये। एक बुजुर्ग संत का ये फैसला इस्लामिक आतंकियों को रास नहीं आया।
 
 
 

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 दीनानाथ मुजू और उनकी पत्नी
 
6 और 7 जुलाई की दरम्यानी रात आतंकी ने रावलपोरा हाउसिंग कॉलोनी में स्थित घर में घुसे और पंडित दीनानाथ की गोली मारकर नृशंस हत्या कर फरार हो गये। आतंकियों का संदेश साफ था, जोभी घाटी में इस्लामिक वर्चस्व का विरोधी होगा, या फिर धमकियों को दरकिनार कर कश्मीर घाटी में टिका रहेगा। उसको रास्ते से हटा दिया जायेगा। एक जानी-मानी शख्सियत होने के नाते दीनानाथ जी की हत्या श्रीनगर में सुर्खियां तो बनीं, जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस मामले में कईं लोगों को गिरफ्तार भी किया। लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकला।