#Fact भारत सरकार ने पहली बार जारी किया है जम्मू कश्मीर और लद्दाख का आधिकारिक मानचित्र, पहले #POJK , #POL और #COL के हिस्से को खाली दिखाने की परंपरा थी
   04-नवंबर-2019
 
 
 
 
31 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 लागू होने के बाद भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य, नए जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र तथा नए लद्दाख़ संघ राज्य क्षेत्र के रूप में पुनर्गठित हो गया। जिसके बाद भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर,लद्दाख और संपूर्ण भारत का राजनैतिक मानचित्र जारी किया। ये अपने आप में ये ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि भारत सरकार ने पहली बार जम्मू कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण मानचित्र जारी किया गया है। पहली बार पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के मीरपुर मुजफ्फराबाद, पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख के गिलगित-बल्तिस्तान और चीन अधिक्रांत लद्दाख के हिस्से को भी न सिर्फ संपूर्ण मानचित्र का हिस्सा बनाया गया है, बल्कि इन हिस्सों के इलाकों को नाम के साथ चिन्हित कर आधिकारिक मानचित्र में दर्शाया गया है।
 
 
सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा जारी दिये गये  (पुराने और नये) दोनों मानचित्रों को ध्यान से देखिए।
 
 

 
 
 
 
 
 
 
इसका साफ अंतर आपको पहले और नये मानचित्र की तुलना करने पर दिखायी देगा। पहले पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के मीरपुर मुजफ्फराबाद, पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख के गिलगित-बल्तिस्तान और चीन अधिक्रांत लद्दाख को खाली दिखाया जाता था। उनके क्षेत्रों को जम्मू कश्मीर राज्य के राजनीतिक मानचित्र में शामिल नहीं किया जाता था।
 
 
 
मसलन ये स्पष्ट नहीं था, कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख के गिलगित-बल्तिस्तान और चीन अधिक्रांत लद्दाख का कौन सा हिस्सा किस जिले में है। इन इलाकों में कितने जिले हैं।
 
 
अब तक पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख के गिलगित-बल्तिस्तान को कश्मीर क्षेत्र का हिस्सा ही समझा जाता था। जबकि ये क्षेत्र भौगोलिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक इतिहास के हिसाब से लद्दाख का हिस्सा रहा है। नये मानचित्र में भारत सरकार ने भूल-सुधार कर इन अधिक्रांत इलाकों के लेह जिले में शामिल किया है।
 
 
यहां तक कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (Pakistan Occupied Jammu Kashmir) के मीरपुर मुजफ्फराबाद क्षेत्र को भी भारत सरकार ने पहली बार स्पष्ट कर संघ राज्य जम्मू कश्मीर में दिखाया है। बल्कि भारत सरकार ने इस जिलों की प्रशासनिक क्षेत्र सीमा को भी स्पष्ट किया है।
 
 
यहां भी ये स्पष्ट है कि भौगोलिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक तथ्यों के मुताबिक पीओजेके का मीरपुर-मुजफ्फराबाद इलाका भी जम्मू क्षेत्र का हिस्सा है, न कि कश्मीर घाटी का।
 
 
स्पष्ट है कि संपूर्ण जम्मू कश्मीर और लद्दाख के मानचित्र में कश्मीर घाटी का हिस्सा (16,000 वर्ग किमी) सबसे छोटा है। कुल 2,22,236 वर्ग किमी में से मात्र 15,948 वर्ग किमी।
 
 
 
अब ये समझना मुश्किल नहीं कि कैसे जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर ने पूरे राज्य के नैरेटिव पर कब्ज़ा कर रखा था। कश्मीर हिस्से की समस्य़ाओं को पूरे जम्मू कश्मीर और लद्दाख की समस्या और नजरिये के तौर पर पेश किया था।
 
 
 
कश्मीर घाटी के मात्र 4-5 जिलों में पनपने वाले आतंकवाद और अलगाववाद को संपूर्ण जम्मू कश्मीर और लद्दाख की इच्छा के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा। यानि संपूर्ण जम्मू कश्मीर और लद्दाख के मात्र कुल 2,22,236 वर्ग किमी में से सिर्फ 7,000 वर्ग किमी के हिस्से में आतंकवाद और अलगाववाद पनप रहा है। मात्र 3% क्षेत्र में। तो कैसे पूरी दुनिया में इसको मानक बनाकर जम्मू कश्मीर की छवि पेश की जाती रही है।
 
 
 
हद ये कि मात्र 72 सालों से जम्मू कश्मीर और लद्दाख को सिर्फ “कश्मीर” से संबोधित किया जाता रहा है। जोकि अन्य क्षेत्र के लिए अन्याय है।
 
 

 
 
 
 
 
जम्मू कश्मीर के नये मानचित्र और तथ्य 
 
 
1. नए लद्दाख़ संघ राज्य क्षेत्र में कारगिल तथा लेह - दो ज़िले हैं और भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य का बाक़ी हिस्सा नए जम्मू और कश्मीर राज्य संघ क्षेत्र में है।
 
 
2. 1947 में भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य में निम्न 14 जिले थे – कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुँछ, मीरपुर, मुज़फ़्फ़राबाद, लेह और लद्दाख़, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और ट्राइबल टेरिटॉरी।
 
 
3. 2019 तक आते आते भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार ने इन 14 ज़िलों के क्षेत्रों को पुनर्गठित करके 28 ज़िले बना दिए थे। नए जिलों के नाम निम्न प्रकार से हैं – कुपवाड़ा, बान्दीपुर, गंडेरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्‍तवाड़, साम्बा और कारगिल ।
 
 
4. इनमे से कारगिल ज़िले को लेह और लद्दाख़ ज़िले के क्षेत्र में से अलग करके बनाया गया था। राष्ट्रपति जी ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (कठिनाइयों को हटाना) दूसरे आदेश, 2019 द्वारा नए लद्दाख़ संघ राज्य क्षेत्र के लेह ज़िले को, कारगिल ज़िला बनने के बाद, 1947 के लेह और लद्दाख़ ज़िले के बाक़ी क्षेत्र में 1947 के गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और ट्राइबल टेरिटॉरी जिलों के क्षेत्रों को समावेशित करते हुए परिभाषित किया है।
 
 
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