लद्दाख में नववर्ष 2020 के स्वागत की तैयारियां शुरू, लद्दाखवासी मना रहे हैं लोसर पर्व
लद्दाखवासियों ने पारंपरिक उत्साह के साथ लोसर पर्व मनाना शुरू कर दिया है। लोसर तिब्बती भाषा का शब्द है, जिसको हिंदी में नववर्ष कहते है। बीते शुक्रवार से शुरू हुआ यह त्यौहार 3 से 9 दिनों तक मनाया जायेगा। इसी के साथ लद्दाखवासियों ने नववर्ष 2020 के स्वागत की भी तैयारियां शुरू कर दी है। लोसर त्यौहार देखने के लिये हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक लद्दाख आते है। लोसर त्यौहार के दौरान पर्यटकों को लद्दाख की संस्कृति, कला देखने का मौका मिलता है।
लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर ने लद्दाखवासियों के साथ मिलकर लोसर त्यौहार मनाया और सभी लद्दाखवासियों को इसकी बधाई दी। उन्होंने कहा कि लोसर त्यौहार नये साल की शुरूआत का प्रतीक है। दो महीने पहले केंद्र शासित प्रदेश बना लद्दाख अब अपने नये युग के लिये तैयार हैं। आरके माथुर ने सभी लद्दाखवासियों से कहा कि हमें नये वर्ष पर नये लद्दाख को मिलकर और समृद्ध और विकसित प्रदेश बनाना है। उन्होंने लद्दाखवासियों से अपील करते हुये कहा कि हमें आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिये मिलकर काम करने की जरूरत है। लद्दाख को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक रुप से मजबूत बनाने का यह सही समय है। लद्दाख के सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने भी सभी लद्दाखवासियों को लोसर त्यौहार की बधाई दी है।
लोसर त्यौहार
लोसर त्यौहार एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्यौहार है। जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर में तारीख से संबंधित चंद्र कैलेंडर के ग्यारहवें महीने के पहले दिन में बौद्ध चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है।लोसर समारोह फासपुन परिवार के एक समूह के देवी एवं देवताओं की पूजा के साथ शुरू होता है। समारोह के दौरान लोग शुभकामनाएं एवं बधाई का आदान– प्रदान करते हैं। लोसर की पूर्व संध्या पर परिवार के पूर्वजों को स्वादिष्ट भोजन परोस कर एवं कब्रिस्तान में पारंपरिक दीप जलाकर याद किया जाता है।
लोसर त्यौहार देखने के लिये हर साल हजारों पर्यटक लद्दाख पहुंचते है। इस त्यौहार के माध्यम से पर्यटकों को लद्दाख की कला-संस्कृतिं देखने का भी अवसर मिलता है। लद्दाखवासियों द्वारा प्रस्तुत नृत्य, संगीत सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। भारत में लोसर त्यौहार देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले योल्मो, शेरपा, तमांग, गुरुंग, और भूटिया समुदाय के लोग मनाते है।
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