@@INCLUDE-HTTPS-REDIRECT-METATAG@@ 7 Feb,1948: मेजर सरदार मलकीत सिंह बरार की वीरता की कहानी, जो अपने साथियों की जान बचाते-बचाते खुद शहीद हो गये

7 Feb,1948: मेजर सरदार मलकीत सिंह बरार की वीरता की कहानी, जो अपने साथियों की जान बचाते-बचाते खुद शहीद हो गये


 
1947-48, भारत-पाकिस्तान युद्ध- एक ऐसा वीर सैनिक जिसके 2 फुट दूर 3 इंच का मोर्टार बम विस्फोट हुआ और आखिरी सांस से पहले कहता है की "अच्छी तरह से बी कंपनी। नीचे उतरो, मैं बिलकुल ठीक हूँ"
 
मेजर सरदार मलकीत सिंह बरार पंजाब के फरीदकोट जिले के आलमवाला से थे। मलकीत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1918 को हुआ था। 1 जनवरी 1941 को सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन ज्वाइन किया। 7 साल सेवा करने के बाद 1948 में वो एक मेजर के पद पर पदोन्नत हुए। बात फरवरी 1948 के दौरान की है, जब मेजर मलकीत सिंह की इकाई को जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात किया गया था। कुमाऊ रेजिमेंट में दो यूनिट थी, जिसमे से एक यूनिट के कमांडर मेजर सरदार मलकीत सिंह बरार थे।
 
मेजर सरदार मलकीत सिंह बरार की यूनिट को जिस पोस्ट पर तैनात किया गया था, वो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाका था। उनकी यूनिट ने कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन, 7 फरवरी को लगभग सुबह 10.30 बजे, दुश्मन पाकिस्तान ने लगभग 200 सैनिकों के साथ कंपनी पर तीन दिशाओं से हमला किया। फॉरवर्ड पोस्ट जहां रेजिमेंट की पहली यूनिट तैनात थी, उसको भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा और ज्यादातर जवान शहीद हो गये। लड़ने में सक्षम केवल दो जवान ही बचे थे।
 
इस मौके पर, मेजर बरार अपनी ब्रेन गन के साथ फॉरवर्ड पोस्ट की ओर भागे और तेजी से दुश्मन सेना पर हमला किया। इस दौरान मेजर को भी गोलियां लगीं, वो बुरी तरह घायल हो गये। लेकिन मेजर की इस कार्रवाई ने दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और अपनी यूनिट के जवानों को बचाने में कामयाब रहे। हालांकि इस दौरान मलकीत बरार को पीछे हटने के आदेश मिल चुके थे। लेकिन जान की परवाह ना करते हुए, वह कंपनी के घायल सैनिको की निगरानी करते रहे। वो तब तक वहां टिके रहे जब तक कि उनके घायल साथियों को वहां से हटा नहीं लिया गया।
 
इसी निगरानी के दौरान, एक 3-इंच मोर्टार उनके बेहद करीब फटा और मेजर मल्कीत सिंह ने वहीं पर दम तोड़ दिया। उनकी इस उत्कृष्ट वीरता और बलिदान के लिए मेजर सरदार मल्कीत सिंह बरार को देश का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार "महावीर चक्र" दिया गया।