न्यूज़ीलैंड की फिक्र ज़रूरी, लेकिन कश्मीर में आतंकियों द्वारा एक महिला एसपीओ की कायराना हत्या पर चुप क्यों है लिबरल मीडिया...!!
   17-मार्च-2019
शनिवार को कायर आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस की एक महिला एसपीओ की हत्या कर दी। घटना साउथ कश्मीर के शोपियां जिले के वेहिल गांव की है, जब आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल पुलिस ऑफिसर खुशबू जान को उसके घर के सामने गोली मारकर शहीद कर दिया। खुशबू जान एक निडर महिला थी, जिसने आतंक के गढ़ शोपियां में पाकिस्तानी मंसूबों के सामने झुकने से मना कर दिया था और जम्मू कश्मीर पुलिस में भरती हुई। जाहिर है मुस्लिम आतंकियों को ये बात हजम नहीं हुई और उसको शहीद कर दिया। इस घटना को 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों के खिलाफ पत्ता भी हिलने पर ट्वीट करने वाले दिल्ली के लिबरल पत्रकार और एक्टिविस्ट चुप हैं। न तो आतंकवाद के खिलाफ कोई ट्वीट है, न ही बहादुर महिला खुशबू जान की शहादत पर कोई संवेदना संदेश.....एक दम स्याह खामोशी है।
 

 
 
 हां तमाम लिबरल लॉबी ने न्यूजीलैंड के आतंकी हमले पर कईं ट्वीट ज़रूर किये हैं। जोकि ज़रूरी भी हैं, लेकिन एक तरह की आतंकी मानसिकता से लड़ते हुए, उसके सामने खड़ी दूसरी आतंकी मानसिकता को नज़रअंदाज करना किस तरह की लड़ाई है। क्या ये सेलेक्टिव आउटरेज नहीं है।
 
सागरिका घोष न्यूजीलैंड के आतंकी हमले पर कम से कम 9 ट्वीट कर चुकी हैं, लेकिन.... 
 

 
 
 
बरखा दत्त यूं तो कश्मीर की हर छोटी-बड़ी घटना पर कमेंट करती हैं, लेकिन खुशबू जान की याद बरखा को भी नहीं आयी। कश्मीर पर बरखा का ताज़ा ट्वीट.... 
 

 
इमरान खान के फैन राजदीप सरदेसाई पाकिस्तान टेटरिज़्म को लेकर दुखी तो हैं, लेकिन इस बात को लेकर कि चुनाव में ये मुद्दा क्यों?  ताज़ा ट्वीट-