धारा 370 और 35A का जम्मू कश्मीर के अधिमिलन से कोई लेना-देना नहीं है, जनता को गुमराह कर रहे हैं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती
   30-मार्च-2019
 
 
28 मार्च को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अपने ब्लॉग में आर्टिकल 35 A के चलते जम्मू कश्मीर में महिलाओं, दलितों समेत लाखों लोगों के साथ भेदभाव को उजागर किया। जेटली ने बताया कि कैसे 35 A के चलते जम्मू कश्मीर की आर्थिक सेहत को भी नुकसान पहुंचा है। जेटली के इस बयान के बाद कश्मीर घाटी के नेता बिदक उठे। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने एक फिर लोगों को गुमराह करना शुरू किया कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35 A ही राज्य के अधिमिलन के आधार हैं। इनको हटायेंगे तो भारत से जम्मू कश्मीर का अधिमिलन खत्म हो जायेगा। जोकि सरासर कोरा झूठ है..। पहले आप उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के गलतबयानी सुनिए-
 
 
 
 
आजादी के वक्त भारत के साथ तमाम राज्यों के अधिमिलन को 2 आधार पर समझा जा सकता है। एक इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन और  दूसरा भारत का संविधान। जम्मू कश्मीर के मामले में जम्मू कश्मीर का संविधान भी एक महत्वपूर्ण आधार माना जा सकता है। तो चलिए इन्हीं 3 आधारों पर समझते हैं जम्मू कश्मीर राज्य और भारत की रिलेशनशिप।  ये वो पैमाने हैं जिनके आधार पर अधिमिलन पूर्ण हुआ।
 
 
 
1.अधिमिलन पत्र- सबसे पहली बात भारत के साथ अधिमिलन के समय कोई शर्त थी ही नहीं। जम्मू कश्मीर भारत का राज्य होगा, इसके लिए न तो महाराजा हरि सिंह ने कोई शर्त रखी थी और न ही भारत सरकार ने कोई आश्वासन दिया था।
 
 
 
2.भारतीय संविधान के शेड्यूल 1 में भारत के तमाम राज्यों का जिक्र है, जिसमें 15वें राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर शामिल है। इसमें जम्मू कश्मीर राज्य को लेकर किसी शर्त का कोई जिक्र नहीं है।
 
 

 
 
 
 
3. जम्मू कश्मीर राज्य की प्रस्तावना में भी अधिमिलन को बिना किसी शर्त के स्वीकार्य किया गया है। जिसमें साफतौर लिखा है कि 26 नवंबर 1947 के अधिमिलन के आधार पर जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
 
 
 

 
 
 
जम्मू कश्मीर के संविधान के शेड्यूल 3 में राज्य और भारत की रिलेशनशिप को परिभाषित किया गया है। जिसमें साफतौर पर लिखा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। यहां भी किसी शर्त का कोई जिक्र नहीं है।
 
 
 

 
 
 
अब सवाल उठता है कि क्या जम्मू कश्मीर के संविधान में संशोधन कर क्या भारत और जम्मू कश्मीर राज्य की रिलेशनशिप बदली जा सकती है। इस संबंध में जम्मू कश्मीर संविधान में संशोधन से संबंधित शेड्यूल है 147। इसमें भी साफतौर पर लिखा गया है कि जम्मू कश्मीर संविधान के शेड्यूल 3 (जिसमें जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया गया है) में संशोधन करके कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।
 


 
 
उपरोक्त तमाम तथ्यों से साबित होता है, कि आर्टिकल 370 और 35A जम्मू कश्मीर के अधिमिलन से कोई लेना देना है ही नहीं। न ही ये कोई शर्त थीं.. जिनके आधार पर अधिमिलन हुआ है। लेकिन कश्मीर घाटी के नेता अपनी जनता को बरगलाने के लिए बार-बार ये झूठ दोहराते रहते हैं। जाहिर है इसलिए क्योंकि उनके पास 370 और 35A की ज्यादतियों और जरूरत को सही साबित करने के लिए कोई और तर्क हैं ही नहीं।