बालाकोट में नरेंद्र मोदी ने दोहराया महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास ।
   05-मार्च-2019


 
बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा जैश- ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने वाले शिविरों पर किये गए साहसिक हमले और ढेरों आतंकवादियों का सफाया करने के बारे में आज बच्चा बच्चा जनता है, पर बहुत कम लोग ये जानते हैं कि इसी बालाकोट में लगभग 200 वर्ष पहले इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध आक्रमण किया गया था ।
  
हिंदू और सिख एक साथ मिलकर इस्लामिक कट्टरपंथी खिलाफ लड़े थे
 
19वी शताब्दी के आरंभ में महाराजा रणजीत सिंह का साम्राज्य पंजाब, कश्मीर और पेशावर तक फैला था I इस समय मुग़ल और इस्लामी कट्टरपंथी हिंदुस्तान में अपनी जड़ें जमा रहे थे, जिसको टक्कर देने के लिए हिन्दू और सिख एक साथ मिलकर लड़ रहे थे I महाराजा रणजीत सिंह का यह साम्राज्य सिख गुरुओं के नेतृत्व में मुस्लिम शासकों के विरुद्ध हो रहे विद्रोह का परिणाम था।

 
इसी समय सईद अहमद बरेलवी, जो अवध से था और वहाबी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता था, उसने भारत में फिर से इस्लामिक राज्य की परिकल्पना करके जिहाद को पुनर्जीवित किया। शक्तिशाली अंग्रेजों के शासन में ऐसे राज्य कि स्थापना करना आसान नहीं था , इसलिए उसने सिखों के साम्राज्य को जिहाद के लिये चुना। उसने पहले पेशावर के पख्तूनों को सिखों के विरुद्ध भड़काया और धीरे धीरे बालाकोट को अपना जिहादी गढ़ बनाया।
 
इतिहास की पुनरावृति
 
सन 1831 में महाराजा रणजीत सिंह के सैनिकों ने बालाकोट में बड़ी कार्रवाही करके सईद अहमद बरेलवी और उसके साथी इस्माइल देलहवी को मार गिराया और उनके ठिकाने ध्वस्त कर दिए । बरेली का सपना था कि वह बालाकोट को अपना ठिकाना बना कर कश्मीर पर कब्जा कर लेगा।लेकिन वीर सिख सेना के कारण उसका यह सपना पूरा ना हो सका के।

 
महाराजा रणजीत सिंह की बालाकोट के युद्ध में विजय हुई और बरेलवी का उन्होंने सिर धड़ से अलग कर दिया। इसे जेहाद के फितूर में अजर मसूद ने भी कश्मीर में अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए बालाकोट को हेड क्वार्टर बनाया था। लेकिन इतिहास अपने आप को दोहराता है। बालाकोट के 200 साल पहले युद्ध के ठीक 200 वर्षों के बाद भारतीय वायु सेना ने डाला कोर्ट में चल रहे आतंकी कैंप को जमींदोज कर दिया।