भारतीय वायुसेना का खुलासा - 6000 अफसर बालाकोट हमले में शामिल- एक भी लीक नहीं
   28-अप्रैल-2019
 
 
बालाकोट एयर स्ट्राइक एक ऐसा विषय है जो भारतीय सेना के इतिहास में हमेशा पढ़ा जाएगा या उसका विश्लेष्ण होगा। देश में विपक्ष ने इस एयर स्ट्राइक पर राजनितिक तरीके से बयानबाजी की जिस से मीडिया में एक तबके ने इस स्ट्राइक पर सवालिया निशान लगाने शुरू किये और देश में निरर्थक बहस चालू हो गयी कि स्ट्राइक में कितने आतंकी मरे या कैंप को कितना नुकसान हुआ। मीडिया इस हद तक गया कि पत्रकारों में इस स्ट्राइक के सबूत सीधे वायु सेना से मांगने शुरू कर दिए। जिसका बहुत अच्छा जवाब भारतीय वायु सेना अध्याक्ष ने दिया जिसमे उन्होंने कहा कि “भारतीय वायु सेना का काम लक्ष्य को हिट करना था नाकि वहा मरे आतंकियों की लाशें गिनना। यह काम पाकिस्तान का है , हमारा नहीं” कोई भी पत्रकार जो पाकिस्तान और वहा के तंत्र को समझता है वो जानता है पाकिस्तान अपनी सेना के जवानो की मौत को भी छुपा जाता है वो मरे आतंकियों की जानकारी किसी कीमत पर नहीं देगा. यदि आप पाकिस्तान के जूठ को पकड़ना चाहते है तो ध्यान से पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता जनरल गफूर को सुनो जो स्ट्राइक के पहले दिन से पत्रकारों को बालाकोट ले जाने की बात कर रहा था , लेकिन बाद में कोई न कोई बहाना बना कर पत्रकारों को बालाकोट कैंप से दूर रखा गया . और ठीक 43 दिनों के बाद पत्रकारों को बालाकोट ले जाया गया. इन 43 दिनों में वहा पर क्या -क्या हुआ इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है।
 
 
देश की मीडिया के इस हल्केपन का सबसे बड़ा खामियाजा भारतीय वायुसेना को भुगतना पड़ा। मोदी विरोध में अंधे हुए मीडिया ने भारतीय वायु सेना के इस आपरेशन के शानदार पहलुओ को ही अनदेखा कर दिया। भारतीय वायुसेना ने इस आपरेशन का विश्लेषण किया है . उस से जुडी कुछ जानकारी हम आप तक ला रहे है।
 
 
1. अप्रत्याशित था हमला
 
 
पाकिस्तान के लिए यह हवाई हमला इतना अप्रत्याशित था कि पाकिस्तानी प्लेन जब तक इस हमले से निपटने के लिए अपने बेस से निकलते तब तक तो हमारे मिराज बम गिरा कर वापस मुड़ चुके थे l पाकिस्तानी सेना इतनी घबराई थी कि वो यह समझ ही नहीं पाए कि कितना नुक्सान हुआ है. उरी स्ट्राइक के समय तो पाकिस्तानी सेना ने स्ट्राइक को पूरी तरह से ही नकार दिया था।  लेकिन अबकी बार वो जानते थे कि भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के अन्दर टक घुसी है . इसलिए इसे नकारना संभव नहीं था।  इस से पहले कि कोई और एयर स्ट्राइक की जानकारी देता खुद पाकिस्तानी सेना के आधिकारिक ट्विटर से हमले की जानकारी दे दी गयी.
 
2. इंटेलिजेंस दक्षता 
 
 
 
 बालाकोट आतंकी कैंप के एक हिस्से की तस्वीर
 
 
2008 में मुंबई हमले के बाद भी भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में टारगेट करने को तैयार थी लेकिन इंटेलिजेंस न होने के कारण हवाई हमले का ऑप्शन छोड़ दिया गया।  लेकिन इस बार भारत के पास पूरी जानकारी थी कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान आतंकियों को पाकिस्तान अधिक्रान्त् जम्मू कश्मीर के कैम्पों से निकाल कर बालाकोट इस उम्मीद में ले गया कि वह सुरक्षित ठिकाना है . लेकिन भारतीय इंटेलिजेंस और वायुसेना के प्रहार से आतंकी बच न सके.हमारे पायलेट्स की दक्षता, निशाने का चयन और इंटेलिजेंस की सटीक जानकारी । बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के छह में से पाँच ठिकानों पर निशाना सही लगा ।
3. 6000 सेनाकर्मी आपरेशन में शामिल कोई भी जानकारी लीक नहीं हुई
 
 
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु है इस सारे ऑपरेशन की गोपनीयता। लगभग 6000 सेना कर्मी और अफसर इस ऑपरेशन में शामिल थे, पर कहीं से भी कोई भी खबर बाहर लीक नहीं हुई, ये अपने आप में एक बहुत बड़ी सफलता है। भारतीय वायुसेना के अलग अ;एजी बेस पर पायलटो से लेकर ग्राउंड स्टाफ ने 10 दिनों तक आपरेशन की योजना का संञ्चालन किया किन्तु कही से कोई जानकारी लीक नहीं हुई . इस दौरान वायुसेना के शीर्ष अधिकारियो ने अपने दिन के रूटीन को आम दिनों की तरह रखा . इसी वजह से देश में या बाहर किसी को इसकी भनक नहीं लगी।