21 मई, 1990 को पाकिस्तानी आतंकियों ने की थी मीरवाइज़ उमर फारूख के पिता की हत्या, लेकिन 20 साल बाद अभी भी पाकिस्तान की भाषा क्यों बोलता है उमर फारूख, जानिए इस साजिश की पूरी कहानी
   21-मई-2019

 
श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुख के पिता मीरवाइज मौलाना फारुख शाह की 21 मई, 1990 के दिन पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अयूब डार ने गोली मार कर हत्या कर दी थी . लेकिन आज 29 साल के बाद उसी युसूफ शाह का बेटा जम्मू कश्मीर के विषय पर पाकिस्तान से बात करने की तरफदारी कर रहा है। मीरवाईज उमर फारुख अपने पिता की मौत का सिर्फ राजनितिक दुरूपयोग करता है अन्यथा डाउन टाउन (श्रीनगर का वो इलाका जहा मीरवाईज उमर फारुख) रहता है। वहां का बच्चा -बच्चा जानता है कि उसके पिता को मारने में किसका हाथ था
 
पाकिस्तान ने क्यों बनाया मीरवाइज फारुख शाह को निशाना
 
1990 में जम्मू कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं का पलायन हो चुका। एक-एक कर हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा था . जम्मू कश्मीर में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन इस स्थिति को सँभालने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे. जगमोहन के आने के बाद पाकिस्तान की आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों पर एक दबाव लग रहा था . दूसरी और मीरवाईज फारुख शाह पाकिस्तानी षड्यंत्रों को समझ चुका था. इसलिए पहले अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के बाद भी अब वह जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर में शान्ति चाहता था . इसके लिए उन्होंने राज्यपाल और केंद्र में बाकायदा बातचीत शुरू करने के संकेत भिजवाने शुरू कर दिए थे . इस बात की जानकारी पाकिस्तान को कई महीनों से थी कि मीरवाइज फारुख शाह पाकिस्तान के चंगुल से बाहर आना चाहते है . इसलिए उन्होंने कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले में अलग से मीरवाइज दक्षिणी कश्मीर को खड़ा कर दिया था . मीरवाइज एक तरह की पदवी है जिसका अर्थ होता खुतबा पड़ने वाला मुखिया. जब से इस्लाम ने कश्मीर घाटी में कदम रखा था तब से कोई मीरवाइज अनंतनाग जिले में नहीं था . लेकिन मीरवाइज युसूफ शाह जो डाउन टाउन की जामा मस्जिद का मीरवाइज था उसे कमजोर करने के लिए एक मीरवाइज अनंतनाग में भी बना दिया गया.
 
इस बात से भी मीरवाइज फारुख शाह पाकिस्तान से नाराज़ था और समझ चुका था कि पाकिस्तान उसका सिर्फ उपयोग कर रहा है. दूसरी और जनवरी 1990 में कश्मीर से हिन्दुओ के पलायन के बाद पाकिस्तान को लग रहा था कि पूरा कश्मीर उनके साथ है और आज नहीं तो कल कश्मीर पर पाकिस्तान का कब्ज़ा होगा लेकिन समय बीतने के साथ वहां पर पाकिस्तानी दबाव धीरे -धीरे कम हो रहा था . इसकी अकुलाहट पाकिस्तानी आतंकी सरगनाओ में महसूस की जा सकती थी. ऐसे में पाकिस्तान कोई एक ऐसी वजह कश्मीर में पैदा करना चाहता था जिस से वहा के हालात सुधरने की बजाय और बिगड़े. ऐसे में मीरवाईज फारुख शाह की हत्या से अच्छा पाकिस्तान के लिए क्या हो सकता था . वैसे भी मीरवाईज फारुख शाह अब शान्ति स्थापित करना चाहते थे इसलिए पाकिस्तान के अलगाववादी अजेंडे में वो फिट नहीं बैठ रहे थे, उनका रिप्लेसमेंट (मीरवाइज दक्षिणी कश्मीर ) पाकिस्तान ने बना ही लिया था और मीरवाइज फारुख शाह की मौत से कश्मीर में जो हालात बिगड़ेंगे उससे तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन भी दबाव में आयेंगे।
  
 
मीरवाइज युसूफ शाह की मौत से पहले फैली मौत की अफवाह
 
पाकिस्तान में फौजी अफसरों और आई एस आई ने मीरवाइज फारुख शाह को मारने की योजना तो बनायीं लेकिन इसमें उनसे एक चूक हो गयी. पाकिस्तानी योजना के अनुसार मीरवाइज की हत्या के बाद श्रीनगर में माहौल बिगड़ना था . हत्या और माहौल बिगाड़ना दोनों कामो के लिए अलग -अलग लोग लगाए गए. पाकिस्तान से गड़बड़ यह हो गयी कि मीरवाइज फारुख शाह की हत्या करने में कुछ देरी हो गयी और माहौल बिगाड़ने वाला गैंग बिना यह जाने की मीरवाईज की हत्या हुई है के नहीं अपने काम पर लग गया . पूरे डाउन टाउन में मीरवाईज फारुख शाह की मौत से पहले उसकी की मौत की खबर फ़ैल गयी . धीरे -धीरे श्रीनगर में हालात बिगड़ने लगे . जब मीरवाईज फारुख शाह को पता चला कि उनके मारे जाने की जूठी खबर चलाई जा रही है तो वो खुद घर से बाहर निकल कर आये और कहा की वो अभी जिन्दा है . लेकिन इस बात के थोड़ी देर बाद हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी अयूब डार ने मीरवाइज फारुख शाह की गोली मार कर हत्या कर दी . हालांकि बाद में आतंकी डार को पकड़ लिया गया था और उसे फांसी की सजा हुई .
 


 
  अपने पिता के साथ मीरवाइज उमर फारूख और मौलाना फारूख शाह की पुरानी तस्वीर
 
 
मीरवाइज उमर फारूख और बाकी अलगाववादी नेता भी जानते है कि मीरवाइज फारुख शाह को किसने मारा .
 
जिस समय मीरवाइज फारुख शाह की हत्या हुई उंमर फारुख की उम्र 16 साल थी . मीरवाइज की पदवी बाद में उमर फारुख को मिली. धीरे –धीरे पाकिस्तान की मीरवाइज फारुख शाह की हत्या की साजिश के बारे में सबको पता चल गया . मीरवाइज फारुख शाह की हत्या के वर्षो बाद अब्दुल गनी भट जो श्रीनगर में अलगाववादी नेता है ने हुर्रियत की एक बैठक में खुल कर कहा था कि इस बैठक में बैठे सब लोग जानते है की मीरवाइज फारुख शाह और अब्दुल गनी लोन की हत्या में भारतीय सेना या एजेंसी को कोई हाथ नहीं है और यह बात मरने वाले दोनों परिवार जानते है . उस बैठक में मौलवी फारूख का बेटा मीरवाइज उमर फारुख और अब्दुल गनी लोन का बेटा सज्जाद लोन दोनों मौजूद थे, लेकिन दोनों के मुंह से एक शब्द भी नही निकला . बाद में प्रोफ़ेसर अब्दुल गनी भट की हुर्रियत में हैसियत घटती गयी क्योंकि पाकिस्तान में बैठे हुर्रियत के आकाओं को प्रोफ़ेसर भट क सच बोलना पसंद नहीं आया . प्रोफ़ेसर अब्दुल गनी भट ने यह बात बाद 2011 में श्रीनगर में एक सेमिनार के दौरान भी बोली. मीरवाइज उमर फारुख ने कभी इस बात का प्रतिकार नहीं किया और न कभी प्रोफ़ेसर भट की बात का कोई जवाब दिया .
 
पाकिस्तान को बेनकाब करने की बजाय मीरवाइज़ उमर फारुख डाउन टाउन में खेल रहा है “ फ्राइडे गेम “
लेकिन हर शुक्रवार डाउन टाउन की जामा मस्जिद में बैठ कर यही मीरवाइज उमर फारुख जिसके पिता को पाकिस्तान ने मारा , कश्मीरी नवयुवकों को भड़काता है . हम आपको बताते चले कि यह जामा मस्जिद वही मस्जिद है जिसके बाहर नमाज पढ़े जाने के बाद पत्थरबाजी का खेल खेला जाता है.
 
इसे स्थानीय लोग “फ्राइडे गेम के नाम से जानते है. हर शुक्रवार की नमाज पढने के बाद और मीरवाइज उमर फारुख के मस्जिद में भारत विरोधी भाषण के बाद कुछ युवक अपने मुंह पर कपड़ा बाँध कर बाहर निकलते है पत्थरबाजी शुरू करते है . इन पत्थरबाजों को कवर कश्मीर ही नहीं बल्कि विश्व का मीडिया भी कवर करता है. इसके बाद मस्जिद से बाहर निकल रही भीड़ का फायदा उठा कर पत्थरबाज भी गायब हो जाते है. हर शुक्रवार को चलने वाले इस क्रम को स्थानीय लोग ही “ फ्राइडे गेम “ अर्थात् शुक्रवार का ड्रामा कहते है . इस फ्राइडे गेम का एक मकसद पूरे विश्व में यह सन्देश देना होता है कि कश्मीर में भारत के खिलाफ एक विद्रोह चल रहा है।