अनुच्छेद 370 अस्थायी है,स्पेशल नहीं… तथ्यों के आधार समझिए असंवैधानिक जालसाजी का पूरा सच
   29-जून-2019

 
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को लेकर संवैधानिक स्थिति को साफ़ करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी है. उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आप बार-बार अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हो, लेकिन जानबूझकर इसी अनुच्छेद से पहले लिखे लिखे अस्थायी शब्द की अनदेखी कर देते हो। अमित शाह की इस बात पर संसद में बैठे मसूदी केवल मुस्कुराते रहे। आईये जानते है कितनी सच्चाई है अमित शाह की स्टेटमेंट में -
 
70 वर्षो से बोला गया संविधान से जुड़ा सबसे बड़ा झूठ कि “ अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को देता है “विशेष दर्जा”. इस झूठ के पर्दाफ़ाश के लिए पढ़िए अनुच्छेद 370 से जुड़े तथ्य
 
1. समझिये संविधान की रचना को - अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को किसी भी प्रकार का ''विशेष दर्जा'' या ''स्पेशल स्टेटस'' नहीं देता है Iभारतीय संविधान के निर्माताओं ने बहुत सोच समझ कर हमारे संविधान की रचना की थी I इसमें प्रत्येक शब्द का अपना एक अर्थ है I उन्होंने संविधान को अलग-अलग भागो में बाँटा I संविधान के कुल 22 ( बाईस ) पार्ट्स या भाग है , 12 शेड्यूल या अनुसूचियाँ हैं है और उसके बाद अंत में अपेंडिक्स या परिशिष्ट जोड़े गए है I
 
 
 
2. अनुच्छेद का शीर्षक महत्वपूर्ण है - एक पार्ट में अनेक आर्टिकल्स या अनुच्छेद रखे गए I हर पार्ट का अपना एक शीर्षक है और वह शीर्षक यह स्पष्ट करता है उस पार्ट में कौन - कौन से आर्टिकल या अनुच्छेद हैं I इसके बाद उस पार्ट में हर आर्टिकल का अपना एक और शीर्षक होता है I अनुच्छेद का शीर्षक यह स्पष्ट करता है की वह आर्टिकल क्या है I
 
 
3. संविधान के पार्ट 21 और अनुच्छेद 370 के शीर्षक में अंतर है - अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान के पार्ट 21 में वर्णित है I इस पार्ट का शीर्षक है “ अस्थायी , संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध “ अंग्रेजी में जिसे ''Temporary , Transitory , and Special Provisions''लिखा एवं पढ़ा जाता है I अब कुछ लोग केवल पार्ट २१ के शीर्षक में विशेष शब्द को पढ़कर अनुच्छेद ३७० को विशेष दर्जा बुलाना शुरू कर देते है. इस पार्ट में कुल 36 आर्टिकल हैं I इनमे से कुछ आर्टिकल अब संविधान का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन जो आर्टिकल बचे हैं वे या तो''अस्थायी'' हैं या ''संक्रमणकालीन'' या ''विशेष''I अब कोई आर्टिकल इन तीनो में से क्या है यह जानने के लिए हर आर्टिकल के शीर्षक को देखना होगा I
 
5. अनुच्छेद 370 का शीर्षक ध्यान से पढ़िए - इस आधार पर यदि आप अनुच्छेद 370 देखें तो आप को साफ़-साफ़ अनुच्छेद 370 का शीर्षक लिखा दिखाई देगा – “ जम्मू कश्मीर से सम्बंधित अस्थायी उपबंध“ या "Temporary Provisions'". कहीं किसी ''विशेष दर्जे'' या ''स्पेशल स्टेटस'' का कोई जिक्र नहीं है I आज तक तथाकथित लेखक या पत्रकार केवल पार्ट नम्बर 21 के शीर्षक को पढ़कर ही अनुच्छेद 370 को विशेष दर्जा बताते आये है जो पूरी तरह से गलत है I
  
 
 
6. अनुच्छेद 370 आया 1950 में जबकि संविधान में विशेष शब्द जुड़ा 1963 में - स्पेशल दर्जे की झूठी कहानी यहीं खत्म नहीं होती है,अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान के साथ ही आस्तित्व में आया यानी कि1950 में। 1950 में भारत में लागू किये गए संविधान में कही पर भी विशेष शब्द ही नहीं था. ''विशेष'' शब्द भारतीय संविधान में 1963 में जोड़ा गया है I यदि ''विशेष'' शब्द आया ही 1963 में है, और जब यह विशेष शब्द जोड़ा भी गया तो यह अनुच्छेद 371 से जुड़े अनुच्छेदों के लिए जोड़ा गया था नाकि 370 के लिए।
 
 
भारतीय संविधान के इन 6 तथ्यों का अध्ययन पूरी तरह से साफ़ कर देगा कैसे अमित शाह की बोली गयी एक लाईन ने देश के सबसे छोटे हिस्से के कुछ नेताओं के झूठ की कैसे हवा निकाल दी। अपने एक वाक्य से देश के गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर के तथाकथित विशेष दर्जा, जो कभी था ही नहीं कि हवा निकाल दी।