13 जुलाई 2002, कासिम नगर नरसंहार- हिंदू बस्ती में लोग नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल की कमेंट्री सुन रहे थे, आतंकियों ने अचानक हमला कर 29 मासूमों की हत्या कर डाली
   12-जुलाई-2019
 
 
13 जुलाई 2002 की रात जब लंदन में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को हराकर नेटवेस्ट ट्राफी जीती थी, वो रात जम्मू के कासिम नगर में रहने वाले हिंदू परिवारों के लिए खौफनाक रात साबित हुई। जम्मू शहर के बाहरी इलाके में बसी इस कच्ची बस्ती में ज्यादातर मजदूर रहते थे, जोकि हिंदू थे। रात के करीब 8 बजे थे, बिजली चली गयी थी। बस्ती के लोग साथ इकठ्ठा होकर नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल मैच की रेडिय़ो पर कमेंट्री सुन रहे थे। इसके अलावा आस-पास महिलाएं और बच्चे भी थे। तभी कम से कम 8 आतंकी कथित तौर पर साधुओं जैसा चोला पहनकर बस्ती में घुसे और सबसे पहले बच्चों और कमेंट्री सुन रहे लोगों की भीड़ पर 4-5 ग्रेनेड फेंके। जिसके बाद जब वहां भगदड़ मची तो आतंकियों ने ऑटोमैटिक एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगे। 2 से 3 मिनट में ही आतंकियों ने 24 बेकसूरों की नृशंस हत्या कर डाली और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गये। इसके बाद आतंकी अंधेरे और घने जंगल का फायदा उठाकर फरार हो गये।
 
 
घायलों को किसी तरह अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन यहां भी तीन और मासूमों ने दम तोड़ दिया। इसी के साथ मरने वाले लोगों की संख्या 29 हो गयी। इन बेकसूरों में 10 महिलाएं, एक 3 साल का मासूम बच्चा और 2 अंधे भी शामिल थे।
 
 
 
 
ये वो दिन था जिसके कश्मीर में इस्लामिक आतंकी और अलगाववादी ब्लैक डे के तौर पर मनाते हैं। क्योंकि इसी दिन 13 जुलाई 1931 को श्रीनगर में हज़ारों इस्लामिक हुड़दंगियों की भीड़ जेल पर हमला कर सांप्रदायिक भाषण देने वाले एक आरोपी अब्दुल कादिर को बाहर निकालना चाहती थी। जिसको रोकने के लिए जेल प्रशासन को गोलीबारी करनी पड़ी थी और इस दंगे में 10 दंगाई मारे गये थे। महाराजा हरि सिंह के डोगरा रूल के खिलाफ इसी दिन को इस्लामिक संगठन इस्तेमाल कर ब्लैक डे के तौर पर आज तक घाटी में सांप्रदायिक आग भड़काते आये हैं।
  

 
 
मारे गये लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार की तस्वीर 
 
 
 
इस नरसंहार के बाद ना सिर्फ देश बल्कि अमेरिका और रूस समेत पूरी दुनिया ने इस हमले की कड़ी निंदा की। यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट कोलिन पॉवेल भारत के विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा से फोन पर बात कर इस हमले को आतंकी हमला करार दिया। देश में भी इस हमले के बाद सरकार के खिलाफ जबरदस्त रोष देखने को मिला। 15 जुलाई के दिन जम्मू शहर में पूरी तरह बंद रहा।
 
जम्मू कश्मीर पुलिस ने अपनी जांच में लश्कर-ए-तैयबा को इस हमले का जिम्मेदार ठहराया। जिसके बाद मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अबु तलहा नामक आतंकी को इस नरसंहार के आरोप में गिरफ्तार किया। जिससे पूछताछ करने के बाद 7 और आतंकियों को गिरफ्तार किया गया।