“जम्मू कश्मीर में मुस्लिम नहीं हिंदू हैं अल्पसंख्यक”, अल्पसंख्यकों को परिभाषित करने लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर
   20-जुलाई-2019
 
 
 
2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू कश्मीर समेत 7 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में क्यों न इन राज्यों में हिंदूओं को राज्यवार अल्पसंख्यक घोषित किया जाये। इसी को ध्यान में रखते हुए एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी है, जिसमें जनसंख्या के राष्ट्रीय आंकड़े की जगह राज्यवार जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों का निर्धारण करने की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग मांगा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद बाद तय करते हुए याचिकाकर्ता से अपनी याचिका की प्रति अटार्नी जनरल के कार्यालय में सबमिट कराने को कहा है।
 
 
 
दरअसल ये याचिका अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। जिसमें केंद्र की 23 अक्टूबर 1993 को जारी की गयी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी है। ये अधिसूचना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के संबंध में जारी की गयी थी। इस अधिसूचना में 5 समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था। याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने इसी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2 (सी) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी है। याचिका में अल्पसंख्यक को परिभाषित करने वाले दिशा-निर्देश तय करने के लिए निर्देश देने की भी मांग शामिल की गयी है। जिसके मुताबिक राज्यवार जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक परिभाषित किये जायें न कि राष्ट्रीय आंकड़े के आधार पर।
 
याचिकाकर्ता ने इस अधिसूचना को स्वास्थ्य, शिक्षा, शरण और जीवनयापन के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन बताया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक वो इसके संबंध में गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से जवाब मांग चुके हैं। लेकिन इन संस्थानों से कोई जवाब नहीं मिला। क्योंकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को याचिकाकर्ता को अल्पसंख्यक आयोग से संपर्क करने को कहा था।
 
 
 
हिंदू इन राज्यों में हैं अल्पसंख्यक-
 
 

1. लक्षद्वीप - 2.5 फीसद (मुस्लिम बहुमत में)
 
2. मिजोरम - 2.75 फीसदी (ईसाई बहुमत में)

3. नागालैंड - 8.75 फीसदी (ईसाई बहुमत में)

4. मेघालय- 11.53 फीसदी (ईसाई बहुमत में)

5. जम्मू एवं कश्मीर- 28.44 फीसदी (मुस्लिम बहुमत में)

6. अरुणाचल प्रदेश- 29 फीसदी (ईसाई बहुमत में)

7. मणिपुर- 31.39 फीसदी (ईसाई बहुमत में)

8. पंजाब- 38.40 फीसदी (सिख बहुमत में)
 
 
 
याचिका में कहा गया है कि बहुसंख्यक होने के बाद भी इन राज्यों में अल्पसंख्यकों को मिलने वाला लाभ बहुसंख्यक उठाते हैं और असली अल्पसंख्यक अपने वैध हिस्से से वंचित हैं। इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत तय उनके बुनियादी अधिकारों का हनन हो रहा है।